कोलकाता। प्रवासी राजस्थानी समाज में, अपनी लोकसंस्कृति से जुड़ा, शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जो लोकमानस के कवि-नाट्यकार, संगीतकार गोपाल कृष्ण तिवाड़ी को नहीं जानता। राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी, बीकानेर के निवासी होने के कारण, यहाँ के बीकानेरी समाज में तो वे विशेष रूप से लोकप्रिय थे। गीत-पर्व गणगौर के आयोजन हों या पीरों के पीर, बाबा रामदेव जी का मेला हो अथवा जैन धर्म के पर्व-त्योहार; या फिर, वैष्णव मण्डलियाँ ही क्यों न हो, अपने संगीतमय समारोहों को, तिवाड़ी जी की रचनाओं के बिना, वे अधूरा ही समझते थे। संचालक संजय बिन्नाणी ने लोकजीवन के कवि गोपालकृष्ण तिवाड़ी का परिचय देते हुए, ये बातें बताईं और कुछ कविताओं की आवृत्ति की।
स्थानीय माहेश्वरी भवन सभागार में, गत संध्या आयोजित लोकार्पण समारोह को प्रधानवक्ता, दाधीच परिषद् के अध्यक्ष सीए आर के व्यास ने संबोधित करते हुए तिवाड़ी जी के आध्यात्मिक पक्ष की विशेष रूप से चर्चा की। उन्होंने तिवाड़ी जी को दिव्यात्मा बताते हुए कहा कि ऐसे महामना धरती पर अपनी रचनाओं से लोकमंगल करते हैं। वे हमारे हृदय में निवास करते हैं।
अखिलभारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के भूतपूर्व अध्यक्ष, सीताराम शर्मा ने राजकुमार तिवाड़ी द्वारा संकलित-सम्पादित ग्रंथ का लोकार्पण करते हुए तिवाड़ी जी के कृतीत्व का उल्लेख किया।
अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए, तिवाड़ी जी के सखा मुकुंद राठी ने कहा कि यह आयोजन, बहुत पहले, तिवाड़ी जी के रहते हुए ही होना चाहिये था। मेरा दायित्व बनता था लेकिन, मैं नहीं कर पाया, इसका अपराध बोध मुझे हो रहा है। इस प्रकाशन और लोकार्पण समारोह के माध्यम से राजकुमार तिवाड़ी ने समाज के मुँह पर तमाचा मारा है।
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता सेनानी रामकृष्ण तिवाड़ी के सुपुत्र, गोपाल कृष्ण तिवाड़ी ने धर्मप्राण राजस्थानी लोकमानस की आकांक्षाओं के अनुरूप, सैकड़ों भक्ति-गीतों की रचना की। नाटक व नृत्य-नाटिकाएँ रचे। कई स्वतंत्र रचनाएँ भी रचीं। समय-समय पर इनकी प्रस्तुति, विभिन्न मंचों पर होती रही। “म्हारो प्यारो मरुधर देश” नृत्य-नाटिका तो, बरसों तक प्रदर्शित होती रही।
उनके बहुतेरे गीत, लोकगीतों के रूप में, पूरे देश में गाए जा रहे हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में, देश की आत्मा को अभिव्यक्ति दी। भक्तिगीतों में भी देश की अवस्थाओं का चित्रण करते हुए, भगवती से, देश की उन्नति का वरदान माँगा।
माहेश्वरी संगीतालय के भूतपूर्व मंत्री एवं गायक बसन्त मोहता के नेतृत्व में, महेश दम्माणी एवं चन्द्रू दम्माणी के संयोजन में, विजय ओझा, उत्तम चंद बैद, अतुलकृष्ण तिवाड़ी, देवी द्युति किशोरीजी, गीता बिन्नाणी, पद्मा कोठारी, नेहा लोहिया, निधि सोनी आदि कलाकारों ने तिवाड़ी जी के गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी। तापस देबनाथ के निर्देशन में, नर्तकों ने नृत्य किया।
तिवाड़ी परिवार द्वारा आयोजित इस लोकार्पण समारोह में, महानगर के गणमान्य लोगों उपस्थिति प्रशंसनीय रही। समारोह को सफल बनाने में जयन्त डागा, राजा नथाणी, राम तापड़िया, महेश मिश्र, विजय तिवाड़ी, नरेन्द्र बागड़ी, विपुल तिवाड़ी, नारायण मिम्माणी, अशोक द्वारकाणी आदि कार्यकर्ता सक्रिय रहे।