कोटा। राजस्थान में कोटा के दोनों निगमों कोटा दक्षिण नगर निगम और कोटा उत्तर निगम चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने अपने महापौर प्रत्याशी तय कर लिए हैं।
कोटा दक्षिण में कांग्रेस ने राजीव अग्रवाल और भाजपा ने विवेक राजवंशी को महापौर पद के लिए चुनाव मैदान में उतारा है। यहां दोनों को ही 36-36 वार्डों में जीत हासिल हुई है, लिहाजा यहां दोनों दलों में कांटे का मुकाबला होने की संभावना है।
दूसरी ओर कोटा उत्तर में कांग्रेस ने 70 में से 47 वार्डों में जीत दर्ज की है जबकि दो निर्दलीयों को भी अपने पाले में लाने में सफल रही है। यहां भाजपा के केवल 14 पार्षद जीते हैं। इससे स्पष्ट है कि यहां कांग्रेस का महापौर बनना करीब तय है।
कांग्रेस ने यहां मंजूर मेहरा को महापौर पद का उम्मीदवार बनाया है। इन सबके बावजूद यहां (भाजपा) ने मैदान खाली छोड़ने की बजाय ऐन समय पर संतोष बैरवा को मैदान में उतारकर चुनाव करवाना तय कर दिया है। बैरवा ने आज नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया।
कोटा दक्षिण का चुनाव दोनों ही प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है क्योंकि एक तो भाजपा के गढ़ माने जाने वाले कोटा दक्षिण में कांग्रेस पहली बार अपने 36 पार्षदों को चुनाव जिताने में सफल रही है जबकि भाजपा के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अपने गढ़ में किसी तरह अपनी प्रतिष्ठा बचाना चाहती है। उसके भी 36 पार्षद चुने गए हैं और मुकाबला टाई हो गया है।
यहां जीत हार का अब सारा दारोमदार उन आठ निर्दलीय पार्षदों पर ही है। दोनों ही दलों का दावा है कि निर्दलीय के रूप में चुनाव जीते प्रत्याशियों में से 4-4 पार्षद उनकी पार्टी के बागी हैं, लिहाजा महापौर के चुनाव के समय उन्हें इनका समर्थन हासिल होगा।
हालांकि भाजपा के सामने सबसे बड़ा आसन्न संकट भाजपा के बागी एक निर्दलीय पार्षद हैं जिन्होंने भाजपा का समर्थन करने के लिए स्थानीय नेताओं से बातचीत करने तक से मना कर दिया है और कहा कि वह कोई भी फैसला पार्टी आलाकमान से बातचीत करने के बाद ही करेंगे।
बताया जाता है कि यह निर्दलीय पार्षद भाजपा के एक पूर्व विधायक के नजदीकी रिश्तेदार हैं, लेकिन यह विधायक तो पहले ही टिकट के बंटवारे को लेकर कोटा में पार्टी के पर्यवेक्षक राजेंद्र सिंह राठौड़ से जबरदस्त खफा हैं और उन पर मनमाने तरीके से ऐसे लोगों को टिकट देने का आरोप खुलकर लगा रहे हैं जिन्होंने पिछले विधानसभा में कांग्रेस के कोटा उत्तर विधानसभा सीट से प्रत्याशी शांति धारीवाल के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था।
इसके बावजूद वह इस बार नगर निगम के चुनाव में भाजपा का टिकट हासिल करने में सफल हो गए और भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता हतप्रभ रह गए। जिससे यह पूर्व विधायक स्वाभाविक रूप से काफी आहत हैं।
महापौर पद के लिए भरे जाने वाले नामांकन पत्रों की छह नवंबर को जांच होगी और सात नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। 10 नवंबर को मतदान होगा। इसी तरह उप महापौर का चुनाव 11 नवंबर को होगा और उसी दिन नामांकन भरे जाने के बाद उनकी जांच होगी। मतदान भी उसी दिन करवाकर उसी समय परिणाम घोषित कर दिया जाएगां