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Kovind says Development of country only by education of society - समाज के शिक्षित होने से ही देश का होगा विकास : रामनाथ कोविंद - Sabguru News
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समाज के शिक्षित होने से ही देश का होगा विकास : रामनाथ कोविंद

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समाज के शिक्षित होने से ही देश का होगा विकास : रामनाथ कोविंद
Kovind says Development of country only by education of society
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गाोरखपुर । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शिक्षा को विकास की कुंजी बताते हुये कहा “ शिक्षा से ही देश का विकसित होगा।” कोविंद सोमवार को यहां गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह के समापन और सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि शरीक हुये।

उन्होने कहा कि कहा कि शिक्षा से ही देश का विकास होगा। समाज के शिक्षित होने से देश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। देश के विकास के लिये शिक्षा मुख्य आधार शिला है। शिक्षा ही विकास की कुंजी होती है।

कोविंद ने कहा कि देश के युवाओं की सबसे बडी संख्या उत्तर प्रदेश में ही है। यह अपने आप में एक बहुत बडी संपदा है। युवाओं के बल पर प्रदेश की उपजाउ जमीन, प्रचूर जल-संसाधन, बहुत बडा घरेलू बाजार तथा अच्छी कनेक्टिविटी जैसी अनेक विशेषताओं का पूरा लाभ उठाया जा सकता है। प्रदेश में रोजगार मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के विकास से प्रदेश का सम्पूर्ण विकास है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में इन्फॉरमेशन टेकनालोजी और स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए नयी नीति लागू की गयी है। युवाओं को रोजगार देने के लिये सुविधायें प्रदान की जा रही है। इन प्रयासों से प्रदेश के विकास में युवाओं की भागीदारी और बढ़ेगी। पूर्वांचल क्षेत्र के विकास के बिना उत्तर प्रदेश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।

कोविंद ने विद्यार्थियों को महाराणा प्रताप के जीवन आदर्शों को अपनाने की सीख दी। साथ ही 2032 तक गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा हर व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाती है। भारत के विकास का मतलब शिक्षा का विकास है। गौतमबुद्ध और संत कबीर महान शिक्षक थे। यह इस अंचल का सौभाग्य है कि गौतमबुद्ध से जुडे कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु और लुम्बनी तथा कबीर से जुडा मगहर जो संतकबीर नगर जिले में वह गोरखपुर परिक्षेत्र में स्थित है।

उन्होंने कहा कि स्वाभिमान और आत्मगौरव के लिए सदैव सचेत रहने वाले, पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर परिक्षेत्र को वर्ष 1857 के स्वाधीनता संग्राम के बाद विदेशी शासन की क्रूरता और उदासीनता का सामना करना पडा था।