जयपुर। खेल से ही अनुशासन व राष्ट्र प्रेम की भावना प्रबल होती है। हमारे पारम्परिक खेल कबड्डी पुनर्जन्म के भाव को दर्शाता है। खो-खो खेल के माध्यम से साथी मिलकर हाथ बढ़ाना का भाव बनता है। इसी खेल भावना को बढ़ाने के लिए हनुमान जयंति पर क्रीडा भारती की स्थापना हुई। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कही।
भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खेल हमारे जन्म से ही प्रारम्भ हो जाता है। शिशु अपने आहार और जीवन को चलाने के लिए अपने हाथ पैर चलाता हैं जिसमें योग का भी समावेश होता है। कुम्भक व रेचक क्रिया के माध्यम से शिशु अपना शरीर संतुलित रखता है।
इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी में विभिन्न खेलों के प्रशिक्षक, योग एवं व्यायाम शालाओं के प्रमुख उपस्थित रहे। सभी ने अपने विचार रखते हुए कहा राष्ट्र निर्माण में खेलों एवं योग की महती आवश्यकता है।
डॉ. नवनीत कुमार ने कहा कि आज विदेशी लोग योग साधना पर आकर्षित हो रहे हैं। खेल व योग के माध्यम से हमारा शरीर निरोगी रहता है मन स्वस्थ रहता है। मन स्वस्थ रहेगा तो हमारा हर लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है।
क्रीडा भारती ने अपने स्थापना दिवस (हनुमान जन्मोत्सव) पर आयोजित गोष्ठी समर्थ व श्रेष्ठ भारत में खेल तथा योग की भूमिका में डॉ. भूपेन्द्र सिंह राठौड़ कार्यक्रम अध्यक्ष, नवनीत कुमार योग विभागाध्यक्ष, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान त्रिवेणी नगर, मुख्य अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय के योग आचार्य रमाकांत मिश्रा, क्रीडा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं ओलम्पियन गोपाल सैनी भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ हनुमान जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। प्रस्तावना मेघसिंह क्षेत्र संयोजक क्रीडा भारती ने रखी।