हेग/नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर बुधवार को रोक लगाते हुए पाकिस्तान को इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इसकी प्रभावी समीक्षा करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने जाधव के मामले में योग्यता के आधार पर भारत के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायालय ने कहा कि पाकिस्तान ने जाधव को वकील की सुविधा उपलब्ध न कराकर अनुच्छेद 36 (1) का उल्लंघन किया है और फांसी की सजा पर तब तक रोक लगी रहनी चाहिए जब तक कि पाकिस्तान अपने फैसले पर पुनर्विचार और उसकी प्रभावी समीक्षा नहीं कर लेता।
न्यायालय के आज के फैसले से भारत की बड़ी जीत हुई है हालांकि अदालत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने और जाधव की सुरक्षित भारत वापसी की मांग को खारिज कर दिया।
आईसीजे के फैसले का स्वागत : सुषमा स्वराज
भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कुलभूषण जाधव के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए इसे भारत की बड़ी जीत बताया है।
न्यायालय के फैसले के बाद स्वराज ने कई ट्वीट करते हुए लिखा कि कुलभूषण जाधव के मामले में अंतर्राष्ट्रीय अदालत के निर्णय का मैं तहे दिल से स्वागत करती हूं। यह भारत बड़ी जीत है।
पूर्व विदेश मंत्री ने लिखा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाधव के मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में हमारी पहल के लिए धन्यवाद देती हूं। मुझे उम्मीद है कि इस फैसले से जाधव के परिवार के सदस्यों को अति आवश्यक सांत्वना मिलेगी। मैं हरीश साल्वे को आईसीजे के समक्ष भारत की तरफ से बहुत प्रभावकारी और सफलतापूर्वक मामले को प्रस्तुत करने के लिए साधुवाद देती हूं।
क्या था मामला
पाकिस्तान ने जासूसी का आरोप लगाते हुए जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान का दावा था कि जाधव को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने तीन मार्च 2016 को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था।
पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में जाधव को अप्रेल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ भारत ने मई 2017 में आईजीसी में अपील की थी।
इस मामले में आईसीजे के न्यायाधीश अब्दुल अहमद युसूफ (सोमालिया) फैसला सुनाएंगे। भारत ने मई 2017 में इस न्यायालय में पाकिस्तानी अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसके बाद एक लंबी सुनवाई चली। भारत की तरफ से हरीश साल्वे ने जाधव की पैरवी की थी।
इससे पहले भारत ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने जाधव मामले में वियना संधि के अनुच्छेद 36(1) का उल्लंघन किया है जिसके तहत यह प्रावधान है कि उसे भारतीय नागरिक की गिरफ्तारी के संबंध में तुरंत सूचित करना था।
भारत ने कहा था कि जाधव को तीन मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया लेकिन इसके संबंध में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास को 25 मार्च 2016 को सूचित किया था।
भारत ने इस आरोप का सिरे से खंडन किया कि जाधव एक जासूस हैं और आईसीजे में अपील की है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए जाधव को राजनयिकों से भी मिलने नहीं देता है। यह संधि वर्ष 1964 में लागू हुई थी जिसके तहत राजनयिकों को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है।
गौरतलब है कि इस मामले में भारत की तरफ से लगातार दबाव बनाने के बाद पाकिस्तान ने जाधव की मां और पत्नी को मुलाकात करने की अनुमति दी थी लेकिन जब दोनों जाधव से मिलने पहुंची तो उनके साथ बदसलूकी भी की गई थी।