प्रयागराज। विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा और श्रीपंच अग्नि अखाड़े की पेशवाई मंगलवार को प्रयागराज में जहां गाजे-बाजे के साथ निकली वहीं अखाड़ा से निष्कासित गोल्डन बाबा ने भी बिना गाजे-बाजे सादगी से कुछ लोगों के साथ मिलकर अपनी पेशवाई निकाली।
गोल्डन बाबा अपने कुछ अनुयायियों के साथ दो कारों के काफिले के साथ त्रिवेणी मार्ग से आगे निकलते गए। एक कार के पर वह अपने कुछ प्रमुख शिष्यों और एक सुरक्षाकर्मी के साथ करीब 20 किलो सोने के जेवरात, कड़े, दोनों हाथों के दसों अंगुलियों में से आठ में मोटी-मोटी अंगूठी पहने विराजमान थे।
उनके पीछे चल रही सफेद रंग की कार पर उनके समर्थक हर-हर महादेव और ‘गोल्डन बाबा जिन्दाबाद” का नारे लगाते आगे बढ़ते गए। किले के पास त्रिवेणी तिराहे के पास उनका काफिला कुछ समय के लिए रूक कर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रहा था। लोगों के हुजूम ने उनके काफिले को चारों ओर से घेर लिया था। कुछ लोग उनकी कार के ऊपर सवार होकर उनके साथ सेल्फी लेते हुए नजर आए। उनके साथ चल रहा अकेला सुरक्षाकर्मी असहाय नजर आ रहा था।
गौरतलब है कि जूना अखाड़ा का नगर प्रवेश 28 नवम्बर के साथ ही गोल्डन बाबा का कुम्भ में शामिल होने के लिए तीर्थराज प्रयाग में आगमन हुआ था। नगर प्रवेश के दौरान लोगों का आकर्षण का केन्द्र बने थे।
देश के सबसे बड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े से जुड़े साधु-संतों का नगर प्रवेश शाही अंदाज में हुआ था। बैंडबाजा, ध्वज-पताका, हाथी, घोड़ा एवं ऊंट के साथ करतब दिखाते नागा संन्यासियों का कारवां सड़क पर निकला तो घर की छतों पर खड़े लोगों ने पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया गया था।
अखाड़ा के अनुरूप व्यवहार नहीं करने के आरोप में उन्हे रविवार को अखाड़ा से निष्कासित कर दिया गया था। वह अखाड़ा के शिविर में भी नहीं रह रहे हैं।
जून अखाड़ा ने रमतापंच श्रीमहंत गेल्डनपुरी, श्रीमहंत देवेन्द्र पुरी, थानापति श्रीमहंत मनोहरपुरी, थानापति श्रीमहंत मनोहरपुरी और संन्यासिनी श्रीमंहत पूजा गिरी को अखाड़ा से बाहर कर दिया। गोल्डन बाबा पर गुरू श्रीमंहत मझेंदर पुरी का अपमान करने, मेले में सुरक्षा के लिए मुहैया कराये गये पुलिसकर्मियों को धमकाने, अखाडा के सथ धोखा-धड़ी करने, मेला प्रशासन अधिकािरयों से अभद्रता करने का आरोप है।
जूना अखाड़ा ने पंच महामत्माओं पर अखाड़ा के नियम कानून के विरूद्ध काम करने एवं अनुशासनहीनता करने का आरोप है। श्रीमहंत गोल्डनपुरी की जगह श्रीमहंत केदार पुरी को रमता पंच बनाया गया जबकि मोहनपुरी के स्थान पर भोला पुरी को अखाड़ा का थानपति बनाया गया है।