कुम्भनगर। तीर्थराज प्रयाग में मकर संक्रांति पर्व स्नान पर मंगलवार को किन्नर अखाडा ने जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान किया।
किन्नर अखाड़ा का शाही स्नान का तरीका उनकी पिछली पेशवाई से कम नहीं थी। इसमें भी उनके दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। आगे-आगे श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद का सजा धजा रथ आगे चल रहा था। इसके बाद महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर का रथ चल रहा था।
आचार्य, महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर के रथ के पीछे किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पंडित लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ कई रथों पर सवार किन्नर के अन्य पदाधिकारी संगम पर पहुंचे। रथ से नीचे उतर कर वह त्रिवेणी मां को प्रणाम किया और अपने ऊपर जल छिडकने के बाद आस्था की डुबकी लगाई।
किन्नर अखाड़ा प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि जूना अखाड़े के साथ हमारा विलय नहीं हुआ है। जूना और किन्नर अखाड़ा एक हुए हैं। समझौते के अनुसार किन्नर अब उनके साथ रहकर सभी कार्य करेंगें। इसीलिए उन्होंने अमृत स्नान के स्थान पर शाही स्नान किया। उन्होंने कहा कि यह क्षण उनके लिए अविष्मरणीय पल है जब वह और उनके अपने लोगों के समूह ने साधू- महात्माओं के साथ त्रिवेणी स्नान किया।
उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़ा जूना अखाडे के साथ मिला जरूर है लेकिन इसकी अपनी पहचान भी बनी रहेगी। सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने के लिए उन्होंने देश के सबसे बड़े और आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित जूना अखाड़े का हिस्सा बने हैं। प्रयागराज में उनका पहला शाही स्नान है जबकि इससे पहले उज्जैन में इन्होंने अमृत स्नान किया था।
किन्नर अखाड़े की प्रभारी पवित्रा माई ने कहा किन्नर अखाड़ा की पहचान नहीं मिटेगी। उन्होंने कहा कि अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर और महंत अपने नाम के साथ किन्नर अखाड़े का प्रयोग करेंगे। अखाड़े का विलय जूना अखाड़े में नहीं होगा बल्कि हम साथ रहेंगे।
उन्होंने कहा कि जूना अखाड़े के साथ स्नान करके सभी को बहुत अच्छा लगा। पूरे देश के लिए और सनातन धर्म के लिए यह अच्छी बात है। कभी सोच भी नहीं सकते थे कि हम ऐसा कर पाएंगे। हमारे लिए गर्व की बात है कि हमने सनातन धर्म के विद्वानों के साथ मिलकर शाही स्नान किया। जूना अखाड़ा के संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज की वजह से सनातन धर्म में हमें हमारा खाेया वजूद मिला।
साधु संतों की जानी मानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि किन्नर जूना अखाडा के साथ जुड़ा है, उसका स्वागत करते हैं। लेकिन 13 अखाडे हैं तो वहीं रहेंगे, इसके अलावा किसी 14वां अखाड़े का गठन नहीं होगा।