कुम्भनगर। उत्तर प्रदेश के तीर्थराज प्रयाग में मकर संक्रांति के पहले शाही स्नान के साथ ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंगलवार तड़के कुम्भ शुरू हो गया।
गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी में कड़कती ठंड पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी पड़ी। श्रद्धालुओं ने मध्यरात्रि के बाद से ही संगम में स्नान शुरु कर दिया। नाग संन्यासियों का शाही स्नान निर्धारित समय भोर 5.15 से शुरु हो गया।
मेला प्रशासन ने बताया कि सुबह 7 बजे तक 16 लाख श्रद्धालुओ ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। निरंजनी अखाड़े की नवनियुक्त महामंडलेस्वर केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भी अखाड़ा के साधु-महात्माओं के काफिले संग स्नान किया।
दिव्य और भव्य कुम्भ का पहला मुख्य स्नान पर्व मकर संक्रांति मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हो गया। पुण्य की कामना में त्रिवेणी के संगम पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। संक्रांति की प्रतीक्षा अंत:करण को शुद्ध करने के विविध मंत्रों से तट गुंजायमान हो रहे हैं। श्रद्धालु डुबकी मारने के बाद “हर-हर महादेव और जय गंगे और हर-हर गंगे के उच्चारण निर्वाध गति से चल रहे हैं।
आमतौर पर मकरसंक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन 2019 में सूर्य के मकर राशि में बिलम्ब से जाने की वजह से स्नान पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान का काफी महत्व होता है। श्रद्धालु स्नान करने के बाद घाट पर बैठे पंडो को चावल, मूंग दाल, नमक, हल्दी का दान कर रहे है। कुछ श्रद्धालु तो कपड़े भी गरीबों में बांटते दिखे।
संगम किनारे रेती पर आस्था, भक्ति और आध्यात्मक का अद्भुत संसार बस चुका है। लघु भारत को अपने में समेटे कुम्भ क्षेत्र में अखाड़ों में आध्यात्म की बयार बह रही है।
देवों के बरसाए अमृत में गोता लगाने दौड़े नागा
दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ मेले में नागा सन्यांसियों ने मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में शाही स्नान कर शंखनाद किया।
सभी अखाड़ों के स्नान का अलग-अलग समय निर्धारित किया गया था। इसकी शुरूआत 5.15 बजे पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अखाड़े से हुई और अन्त निर्मला अखाड़े के साधु संतों से होगा।
48 दिन तक चलने वाले कुंभ की शुरुआत में सबसे पहले 6.30 बजे संगम तट पर शाही स्नान श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री पंचायती अटल अखाड़े के संत, संन्यासी शाही स्नान के लिए संगम तट पहुंचे। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के नागा संन्यासियों ने संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संत, आचार्य और महामंडलेश्वर संगम तट पर पहुंचे।
7.15 बजे श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संत स्नान करने के लिए संगम तट पर पहुंचे। संत हर-हर महादेव का जयघोष करते रहे।
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु-संतों ने स्नान किया। इसके बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संतों ने संगम तट पर डुबकी लगाई। साधु, महात्मा और नागा सन्यासी निर्धारित समय 6.15 बजे संगम तट पर पहुंचे। उन्होंने स्नान कर 40 मिनट बाद घाट खाली कर दिया। इसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़ा के नागा सन्यासियों और महात्माओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
झूंसी स्थित श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा ने सोमवार को कुंभ के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को चादर चढ़ाकर महामंडलेश्वर की पदवी दी। मंगलवार को उन्होंने अखाड़ा के आचार्य,महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर और अन्य साधु महात्माओं केे साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
आठ बजे श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा शाही स्नान के लिए संगम तट पहुंचा। महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की अगुआई में संतों ने संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद श्री पंच दशनाम आह्वान अखाड़ा, श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के संन्यासियों ने शाही स्नान किया। 8.40 बजे जूना अखाड़ा ने शाही स्नान किया। इसके करीब 15 मिनट बाद श्री शंभू पंच अग्नि और श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के साधु-संतों ने गंगा में डुबकी लगाई।
सुबह आठ बजकर 40 मिनट पर जूना अखाड़ा ने शाही स्नान किया। इसके करीब 15 मिनट बाद श्री शंभू पंच अग्नि और श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के साधु-संतों ने गंगा में डुबकी लगाई। इसके बाद 9:30 बजे जूना अखाड़ा के साथ किन्नर अखाड़े ने भी डुबकी लगाई एवं 10.40 बजे श्री पंच निर्मोही अखाड़े के साधु-संत ने स्नान किया।
नागा सन्यासियों और पुलिस अधिकारियों के बीच आगे जाने के लिए कुछ नोकझोंक भी होते देखा गया। मेला सूत्रों ने बताया कि दोपहर 12 बजे तक 80 लाख श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके थे।