कुम्भ नगर। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ मेले में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर रविवार को तीसरे और अंतिम शाही स्नान के दौरान दोपहर दो बजे तक करीब दो करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके थे।
मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने ज्योतिषियों के हवाले से कहा कि बसंत पंचमी स्नान का मुहूर्त शनिवार सुबह 8.55 बजे से रविवार सुबह 10 बजे तक रहा। शनिवार रात 10 बजे तक करीब एक करोड़ लोगों ने संगम क्षेत्र में स्थित 40 घाटों पर स्नान कर पुण्यलाभ अर्जित किया था जबकि लगभग उतनी ही संख्या में श्रद्धालुओं ने रविवार दोपहर दो बजे तक स्नान किया है। श्रद्धालुओं के स्नान करने का क्रम अनवरत जारी है।
आनंद ने बताया कि देश विदेश के कोने-कोने से आए करोड़ों श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं ने हर हर गंगे के उदघोष के साथ विभिन्न घाटों पर स्नान किया। संगम की रेती पर आस्था का सैलाब थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस दौरान हेलीकाप्टर से की जा रही पुष्पवर्षा का मनोरम नजारा कुंभ की महिमा का बखान कर रहा था।
शनिवार को दिन में सर्द तेज हवा मानो श्रद्धालुओं की आस्था की परीक्षा ले रहा हो। रात के गहराने के साथ साथ सर्द हवा अपना दामन फैलाती गयी। संगम की विस्तीर्ण रेती पर खुले अम्बर के नीचे चादर ओढ़े कंपकंपाते श्रद्धालु भोर की प्रतीक्षा कर रहे थे। भोर होते ही श्रद्धालुओं का त्रिवेणी में डुबकी माने का क्रम शुरू हो गया। जैसे जैसे भगवान भास्कर का उदय हो रहा था मौसम सुहावना बनता जा रहा था। दोपहर चटख धूप में संगम में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के रेले में तेजी देखी गई।
कुम्भ के तीसरे शाही स्नान पर्व की शुरूआत परम्परा के मुताबिक पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ने की। इसके साथ पंचायती अटल अखाड़ा ने भी संगम में डुबकी लगाई। दोनों अखाड़े सेक्टर 16 स्थित शिविर से एक साथ निकलकर भोर 5.35 बजे महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा ने पहला पहला शाही स्नान किया।
बाद में सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि पंचायती आनन्द अखाड़ा ने शाही स्नान किया। आठ बजे पंचदशनाम जूना अखाड़ा, पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा और शंभू पंच अग्नि अखाड़ा ने एक साथ शाही स्नान किया।
इसके बाद किन्नर अखाड़ा के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर पंडित लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अपने लाव लश्कर के साथ त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई। त्रिपाठी अपने सिर के ऊपर अराध्य देव की छोटी पालकी लेकर संगम में पहुंची। उन्होंने सबसे पहले अपने आराध्य देेव को स्नान कराया उसके बाद उनके समूह ने संगम में स्नान किया।
उज्जैन शाही स्नान के बाद किन्नर अखाडा का तीर्थराज प्रयाग में पहला शाही स्नान है। किन्नर अपने को उप देवता मानते है और वह ‘अमृत स्नान’ करते हैं लेकिन जूना अखाडे के साथ समझौता होने के कारण शाही स्नान किया।
इसके बाद बैरागी अखाड़ों के शाही स्नान का क्रम शुरु होगा। इसमें सबसे पहले अखिल भारतीय पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा 10.00 बजे शाही स्नान किया। उसके बाद अखिल भारतीय पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा 11.05 बजे और अखिल भारतीय पंच निर्मोही अनी अखाड़ा 12.20 बजे शाही स्नान किया। उदासीन अखाड़े में क्रम से सबसे पहले पंचायती अखाड़ा नया उदासीन ,श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन ने स्नान किया। सबसे अंत में पंचायती अखाड़ा निर्मला 3.30 बजे शाही स्नान करेगा।
सुरक्षा की दृष्टि से मेला परिसर में करीब 400 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं जबकि 96 फायर वाच टावर में तैनात जवान भीड़ को नियंत्रित करने के साथ साथ अवांछनीय तत्वों पर पैनी नजर बनाये हुये हैं। मेला क्षेत्र को 10 जोन में बांट कर सुरक्षा बलों की 37 कंपनियां तैनात की गई है। अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए इसके अलावा 10 कंपनी एनडीआरएफ की तैनाती की गई है।
बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों से आस्थावानों के आने का सिलसिला लगातार बना हुआ है। ग्रामीण इलाके से आने वाले लोगों की संख्या अधिक है। कुंभ के आकर्षण ने हजारों की संख्या में अमरीका, आस्ट्रेलिया, रूस, फ्रांस और कनाडा समेत अन्य देशों के सैलानियों को भी डेरा डालने पर मजबूर कर दिया है। भारी भीड़ को देखते हुए बाहर से आने वाले वाहनों को शहरी सीमा के बाहर फाफामऊ, नैनी, झूंसी और सुलेमसराय आदि इलाकों में बनी पार्किंग में ही रोका जा रहा है।