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कोलकाता के बड़ाबाजार में रखी गई गवरजा द्वार की आधारशिला - Sabguru News
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कोलकाता के बड़ाबाजार में रखी गई गवरजा द्वार की आधारशिला

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कोलकाता के बड़ाबाजार में रखी गई गवरजा द्वार की आधारशिला

कोलकाता। मरुभूमि की सोनाली माटी के उद्यमी बेटों ने जब शस्यश्यामला बङ्गभूमि को अपने कर्मस्थल के रूप में चुना, तब वे अपने परिवारों के साथ यहां नहीं आए थे। लेकिन, लगभग दो सौ साल पहले, जब वे परिवार सहित यहां बसने लगे तब मरुधरा की लोकसंस्कृति ने भी यहां डेरा डाल लिया। उनकी लोकसंस्कृति का, प्रतिनिधि पर्व है गणगौर। सामान्य तौर पर लोग इसे गौरी पूजन के पर्व के रूप में जानते हैं।

कोलकाता में, आरम्भिक काल में यह पर्व, छोटे रूप में या सांकेतिक रूप में ही मनाया जाता रहा। सन् 1880 में, सार्वजनिक स्तर पर इसके वृहद रूप का श्रीगणेश हुआ। यह द्वार, ममता बनर्जी की संस्कृतिप्रियता से प्रेरित होकर, कोननि द्वारा मेयर कोष से निर्मित किया जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ही कोलकाता के सौंदर्यीकरण की जो योजनाएं शुरू की थीं, उनमें से एक है सिंहद्वार या तोरणद्वार निर्माण। कई महत्वपूर्ण स्थलों पर निर्मित तोरणद्वार, अपने-अपने क्षेत्र की शोभा बढ़ा रहे हैं।

सन् 2016 में स्थानीय विधायक स्मिता बख़्शी ने श्रीश्री मनसापूरण गवरजा मण्डली के आग्रह पर यहां गवरजा द्वार बनवाने की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि गौरी को, राजस्थान में गौरा, गौरजा, गवरजा आदि नामों से भी पुकारा जाता है। इनमें से गवरजा तथा गणगौर बहुप्रचलित नाम हैं।

अपनी घोषणा को कार्यरूप में परिणत करने के लिए स्थानीय विधायक ने देवप्रबोधिनी एकादशी के मंगलमय मुहूर्त में, कलाकार स्ट्रीट-देवेन्द्र दत्त लेन के संयोगस्थल पर, गवरजा द्वार की आधारशिला रखी। बङ्गवासी राजस्थानी मूल के लोगों के लिए, लोकसंस्कृति की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस अवसर पर पूर्व विधायक संजय बख़्शी, लोकप्रिय कार्यकर्ता स्वपन बर्म्मन, रचनाकार संजय बिन्नाणी सहित सभी गवरजा मण्डलियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। श्रीश्री मनसापूरण गवरजा मण्डली के सदस्यों ने इस महत्वपूर्ण कार्य को अमली जामा पहनाने की दिशा में सार्थक प्रयास करने हेतु स्वपन बर्म्मन को विशेष रूप से धन्यवाद दिया।

चैत्र नवरात्रि के अवसर पर मनाए जाने वाले राजस्थान के लोकपर्व गणगौर को यादगारस्वरूप कोलकाता के मेयर फण्ड से बनने वाले एक द्वार हेतु भूमिपूजन किया गया। इस मौके पर विधायक स्मिता बक्शी ने कहा कि हमारी बंगाल की संस्कृति समावेशी संस्कृति है जहां हम सभी त्यौहार, उत्सव मिलजुल कर मानते हैं।

हमारी नेत्री एवं प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हमेशा यही भावना रही है कि भारत के सभी त्यौहार हम बंगाल में मिलजुल कर सदभाव के साथ मनाएं। इसी एकता के प्रतीक स्वरूप आज हमने स्थानीय लोगों की भावना का मान रखते हुए गणगौर द्वार के लिए भूमिपूजन किया है। जल्द ही इसका निर्माण भी किया जाएगा।

मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि पूरे देश में इस द्वार के माध्यम से हम सामाजिक एकता की मिसाल दे सकेंगे। पूर्व विधायक संजय बक्शी ने भी इस गणगौर द्वार के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व मेयर फिरहाद हकीम का आभार जताते हुए कहा कि हम इस क्षेत्र के वासी हमेशा भाईचारे के साथ रहते हैं और सभी उत्सव एक साथ मनाते हैं।

कार्यक्रम के संयोजक स्वपन बर्मन ने बताया कि इस गणगौर द्वार के भूमिपूजन से पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है। स्थानीय लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं को पूरित करने हेतु सभी की ओर से स्थानीय विधायक के अथक प्रयास के लिए आभार जताया। गणेश पूजन एवं भूमि पूजन पंडित मनीष पुरोहित तथा पंडित अशोक व्यास के आचार्यत्व में समाज के विशिष्ट जनों की उपस्थिति के मध्य सम्पन्न हुआ।