अमृतसर । पंजाब की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रो लक्ष्मीकांता चावला ने मंगलवार को केंद्र सरकार से उच्चतम न्यायालय सहित सभी अदालतों में प्रांतीय भाषाओं के साथ हिंदी भाषा को भी मान्यता देने की मांग की।
प्रो चावला ने कहा कि आबूधाबी सरकार ने अपने देश में अदालती कामकाज में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में मान्यता दे दी है। इसके लिए आबूधाबी में काम करते भारी संख्या में हिंदुस्तानी भी बधाई के पात्र हैं और वहां की सरकार का भी धन्यवाद जिन्होंने भारतीयों की भाषा और भावनाओं का ध्यान रखा। उन्होने कहा कि अगर आबूधाबी जैसे देश में हिंदी अदालती कार्यों की तीसरी मान्यता प्राप्त भाषा हो सकती है तो अपने देश की अदालतों में हिंदी को स्थान क्यों नहीं मिला।
पूर्व मंत्री ने कहा कि अफसोस की बात है कि स्वतंत्रता के 71 वर्ष पश्चात भी हमारे देश की कोई राष्ट्रभाषा घोषित नहीं की गई। यद्यपि हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में ही देश के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने मान्य की है। अदालतों में हिंदी को स्थान नहीं दिया और न ही आज तक अंग्रेजों की नकल कर पहनने वाले वकीलों के काले कोटों का रंग बदला गया है। उन्होने कहा कि सरकार बताए कि काले रंग का न्याय और शिक्षा से क्या संबंध है।