नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पिछड़ रही भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं ने आज देर शाम तक चुप्पी साधे रखी, लेकिन कुछ छोटे नेताओं के बयानों ने बड़े नेताओं के विरुद्ध अंदरूनी असंतोष को सार्वजनिक कर दिया।
भाजपा के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित नए मुख्यालय के पिछले हिस्से में लगाये गये टैंट में छोटे-छोटे केबिनों में पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट एवं प्रवक्ता विराजमान थे और विभिन्न टेलीविजन चैनलों में बहस में भाग ले रहे थे।
लेकिन पार्टी ने चुनाव परिणामों पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी। पार्टी की आधिकारिक प्रतिक्रिया के इंतजार में पत्रकार देर शाम तक भटकते रहे और पार्टी नेता पूरे परिणामों की प्रतीक्षा करने की बात कहते रहे।
मतगणना में भाजपा के पिछड़ने के बाद अपराह्न पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पार्टी मुख्यालय पहुंचे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार मंत्रणा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पार्टी कार्यालय में आने की संभावना के मद्देनज़र सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे लेकिन बाद में प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीमें लौट गईं।
उधर, मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में मंत्री एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वासपात्र लालसिंह आर्य ने यह कह कर चौंका दिया कि अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम संबंधी मुद्दे और आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री के ‘माई का लाल’ संबंधी चर्चित बयान के कारण पार्टी को नुकसान हुआ है। आर्य भिंड जिले की गोहद (सुरक्षित) विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं और अंतिम रुझान प्राप्त होने तक करीब तेरह हजार मतों से पीछे चल रहे थे।
भाजपा के राज्यसभा सांसद संजय काकड़े ने कहा कि राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार का अनुमान था लेकिन मध्यप्रदेश के नतीजे चौंकाने वाले हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा विकास का मुद्दा भूल गयी जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में हाथ में लिया था तथा उसका फोकस राममंदिर, मूर्तियों और नाम परिवर्तन आदि पर हो गया।
राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि हिन्दी पट्टी के तीन महत्वपूर्ण राज्यों में पार्टी की स्थिति खराब होने से भाजपा के अंदर नेतृत्व से असंतुष्ट लोगों को मुखर होने का अवसर मिलेगा जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में भी भाजपा नेतृत्व के तथाकथित असंवेदनशील रवैये को बदलने का दबाव बढ़ेगा। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर भी भाजपा की उम्मीदों को धक्का लगा है। हालांकि उसे उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनावों जैसा परिणाम नहीं होगा।