रांची। केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने बुधवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्रा को चारा घोटाले के एक मामले में पांच साल कारावास की सजा सुनाई और लालू पर 10 लाख रुपए व जगन्नाथ मिश्रा पर पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद ने चाईबासा कोषागार से 1992-92 में 33.67 करोड़ रुपये धोखाधड़ी से निकालने के मामले में यह फैसला सुनाया। सीबीआई की विशेष अदालत ने 50 लोगों को दोषी करार दिया और मामले में छह लोगों को बरी कर दिया।
चारा घोटाले का यह तीसरा मामला था, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद को दोषी करार दिया गया, जबकि जगन्नाथ मिश्रा को दोषी ठहराए जाने का यह दूसरा मामला था।
सीबीआई न्यायाधीश ने अपराह्न् दो बजे सजा सुनाई। अदालत ने लालू पर पांच लाख रुपए के दो जुर्माने व जगन्नाथ मिश्रा पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया। इससे पहले लालू प्रसाद को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से सुबह 11 बजे सीबीआई की अदालत में लाया गया।
लालू प्रसाद पहले से ही रांची की बिरसा मुंडा जेल में साढ़े तीन साल कारावास की सजा काट रहे हैं। यह सजा चारा घोटाले में देवघर कोषागार से धोखाधड़ी से पैसे निकालने को लेकर 23 दिसंबर 2017 को दोषी करार दिए जाने के बाद छह जनवरी को सुनाई गई थी।
चाईबासा कोषागार मामले में 50 दोषी करार दिए गए लोगों में छह राजनीतिज्ञ, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सज्जल चक्रवर्ती सहित तीन पूर्व आईएएस अधिकारी व अन्य शामिल हैं।
दोषी करार दिए गए लोगों में चार महिलाओं को तीन साल कारावास की सजा सुनाई गई और प्रत्येक पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। महिलाएं चारा घोटाले में आपूर्तिकर्ता रही हैं।
इस मामले में कुल 76 आरोपी थे, जिसमें से 14 की मुकदमे के दौरान मौत हो गई, जबकि तीन सीबीआई के गवाह बन गए, दो ने अपना जुर्म कबूल कर लिया और एक फरार है।
आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के बाद सीबीआई अदालत ने पूछा कि सजा की अवधि पर आज (बुधवार) ही बहस होनी चाहिए या दूसरी तारीख तय की जाए।
इस पर लालू प्रसाद के वकील ने बहस को आज ही सुनने का अनुरोध किया और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए न्यूनतम सजा देने का आग्रह किया। इस मामले में सीबीआई ने 2001 में आरोप पत्र दाखिल किया था।
संवाददाताओं से बातचीत में लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि यह अंतिम अदालत नहीं है, और वह उच्च न्यायालय में जाएंगे। लालू पहली बार चारा घोटाले में 2013 में दोषी करार दिए गए थे और उन्हें पांच साल कारावास की सजा दी गई थी।
पशुपालन विभाग में 950 करोड़ रुपए के घोटाले को चारा घोटाले के तौर पर जाना जाता है। यह बिहार में 1990 के दशक के दौरान सामने आया था। पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामले को सीबीआई को सौंपा गया।
लालू प्रसाद चारा घोटाले के कुल छह मामलों का सामना कर रहे हैं और उन्हें तीन मामलों में दोषी करार दिया गया है। रांची की सीबीआई अदालत में दो मामलों के मुकदमे चल रहे हैं और पटना में एक मामले का मुकदमा चल रहा है।
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