अजमेर। पवित्र रमजान माह का आखिरी अशरा गुरूवार को ऐतकाफ के साथ शुरू हो गया। दस दिनों तक चलने वाला यह अशरा पैगंबर ए इस्लाम में सुन्नत के रूप में माना जाता है। इस अशरे की समाप्ति पर 25 मई को ईदुलफितर मनाया जाएगा।
राजस्थान में अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में लॉकडाउन के चलते एक आबादी में एक शख्स द्वारा इत्तेकाफ की रसूमात एवं इबादत को सबकी तरफ से किया माना जाएगा। धारा 144 के चलते मस्जिदों में भी एक अथवा दो मुसलमानों द्वारा पांचों वक्तों की नमाज अदा करना ही सभी मुस्लिम परिवारों पर धार्मिक रस्मों के रूप में देखा गया।
अजमेर स्थित सुन्नी जमात के मौलाना मोईनुद्दीन रिजवी के अनुसार रमजान के 20वें दिन रोजे को अस्र की नमाज से लेकर चांद रात यानी दस दिनों की अवधि में रोजेदार मस्जिदों में रहकर ही अपना पूरा वक्त निकालते हैं। इसे ही ऐतकाफ कहा जाता है। इस दौरान मुसलमान घर नहीं जाते और खुदा की इबादत, तिलावत और जिक्र में वक्त बिताते हैं।
उल्लेखनीय है कि एक माह का रमजान माह दस दस दिन के तीन अशरो का होता है और आज से आखिरी अशरा शुरू हो गया है। इस अशरे के पूरे दस दिन समाप्ति के बाद मुस्लिम समाज खुशियों का त्योहार ईद को बहुत ही अकीदत और खुशहाली के माहौल में मनाएगा। लेकिन बहुत से मुस्लिमों ने इस बात को स्वीकार किया कि लॉकडाउन की वजह से रमजान माह जीवनभर यादगार बना रहेगा।