( दशहरा देख रहे 60 लोगों की कुचलकर हुई थी मौत, 70 हो गए थे घायल ) पिछले साल 19 अक्टूबर विजयदशमी के अवसर पर एक रेल हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था । जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाब के अमृतसर शहर की । देश के अन्य जगहों की तरह यहां भी दशहरे का आयोजन किया जा रहा था । अमृतसर स्थित जोड़ा रेल फाटक के निकट सभी लोग रावण के पुतले को दहन करने की तैयारी कर रहे थे ।
सैकड़ों लोग रेल की पटरियाें पर खड़े होकर रावण के पुतले दहन को देखने में लगे हुए थे कि अचानक आई ट्रेन ने सैकड़ों घरों को उजाड़ दिया । इस हादसे में 60 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 70 लोग घायल हो गए थे । इस हादसे में स्थानीय पुलिस प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर उजागर हुई थी । जब पुलिस अधिकारियों को मालूम था कि आयोजन स्थल के बगल में रेल पटरी है तो उन्हें पहले ही लोगों को सावधान करना चाहिए था । इस दशहरे के आयोजन में पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर मुख्य अतिथि थीं ।
हादसा इतना भयानक था कि आयोजन स्थल पर भगदड़ मच गई थी । लोगों के गुस्से को देखकर नवजोत कौर को चुपचाप वहां से भागना पड़ा था । उसके बाद पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी को टिकट नहीं दिया गया था इसका कारण यही था कि ट्रेन दुर्घटना को लेकर वहां की जनता में नवजोत कौर के प्रति गुस्सा भरा हुआ था । बाद में घटना की गूंज पंजाब विधानसभा और संसद में भी सुनाई दी थी ।
पीड़ितों को एक साल होने के बाद भी नहीं मिला न्याय
इस रेल हादसे को एक साल पूरे हो गए हैं लेकिन अभी मृतकों के परिजन मुआवजा पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं । उन्होंने कई बार नवजोत सिद्धू के घर के बाहर प्रदर्शन भी किया लेकिन वहां से उनको कोई न्याय नहीं मिला । मृतकों और घायलों के परिजनों ने कई सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटे लेकिन वहां से उन्हें भगा दिया गया । इस बार दशहरे पर मुआवजा न मिलने पर पीड़ितों में जबरदस्त आक्रोश है ।
इससे पहले परिजनों ने नवजोत सिंह सिद्धू के आवास के बाहर प्रदर्शन कर सरकारी नौकरियों की मांग की थी। परिजनों ने आरोप लगाया था कि सिद्धू दंपति ने प्रत्येक पीड़ित के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था और वे अपना वादा निभाने में विफल रहे है। यही नहीं पीड़ितों का कहना है कि ट्रेन हादसे की मजिस्ट्रेट जांच का नतीजा उन्हें बताया जाए।
इस बार दशहरा आयोजन स्थलों पर पुलिस प्रशासन रहे मुस्तैद
इस बार दशहरे के आयोजन पर पूरे पंजाब में पुलिस प्रशासन मुस्तैद बना रहा । पिछले बार हुए रेल हादसे ने पंजाब सरकार के साथ पुलिस प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी थी । रेल हादसे की जांच में प्रथम दृष्टया पुलिस प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई थी । इस बार विजयदशमी के अवसर पर कोई ऐसा हादसा न हो जिससे एक बार फिर उनको भारी कीमत चुकानी पड़े । इसके लिए सुबह से ही चाक-चौबंद बंदोबस्त किए गए थे ।
शंभूनाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार