नई दिल्ली। केन्द्र सरकार शादी करके पत्नियों को छोड़ देने वाले प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को भगोड़ा अपराधी घोषित करने और उनकी संपत्ति जब्त करने के लिए आपराधिक दंड संहिता में बदलाव संबंधी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में लेकर आएगी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज एक कार्यक्रम में बताया कि प्रस्तावित विधेयक में यह व्यवस्था होगी कि यदि किसी एनआरआई ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया है और अपना पता बदल लिया है तो वेबसाइट पर उसके नाम का समन जारी करके समन प्राप्त हुआ मान लिया जाएगा।
मौजूदा समय में निवासी नागरिकों के लिए स्थानीय अखबारों में समन प्रकाशित कर समन प्राप्त हुआ मान लिया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके लिए विदेश मंत्रालय अलग से एक वेबसाइट तैयार कर रहा है जिस पर सिर्फ विदेशों में रहने वाले भारतीयों के खिलाफ समन और वारंट होंगे।
‘एनआरआई विवाह और महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी : मसले एवं समाधान’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में स्वराज ने कहा कि समन जारी करने के बाद भी अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं होने पर आरोपी को भगोड़ा अपराधी घोषित किया जा सकेगा। इसके साथ ही कानूनों में बदलाव करके पत्नियों को छोड़ देने वाले एनआरआई पतियों की देश में संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस विधेयक की भाषा तय हो चुकी है। विधि एवं न्याय मंत्रालय उन धाराओं की पहचान कर चुका है जिनमें बदलाव करने हैं। जल्द ही इसका प्रारूप मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और अगले सत्र में गृह मंत्रालय विधेयक संसंद में पेश करेगा।
एनआरआई विवाहों पर गठित विशेषज्ञ पैनल ने वेबसाइट के जरिये विदेशों में रहने वाले भारतीयों को समन जारी करने और समन के बाद भी हाजिर नहीं होने पर उन्हें भगोड़ा अपराधी घोषित कर उनकी संपत्ति जब्त करने के लिए कानूनों में बदलाव की सिफारिश की थी।
पंजाब एनआरआई आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) अरविंद गोयल की अध्यक्षता में 2016 में गठित इस पैनल ने पिछले साल अगस्त में विदेश मंत्रालय को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं।
स्वराज ने बताया कि अकेले पंजाब में ही ऐसी 15 हजार लड़कियां हैं जिन्हें विदेशी पतियों ने छोड़ दिया है। अभी हमारे सामने सबसे बड़ी दिक्कत ऐसे अपराधियों को समन जारी करने में आती है। अक्सर वे अपना पता और कभी-कभी शहर भी बदल लेते हैं।
हमारे पास उनके पासपोर्ट की अवधि समाप्त होने का इंतजार करने के अलावा और कोई चारा नहीं होता जब वे पासपोर्ट रिन्यू कराने आते हैं। बाकी सभी मामलों में हमारे दूतावास काफी संवेदनशील हो गए हैं, लेकिन इस मामले में हम लाचार हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक कानून में बदलाव नहीं हो जाता तब तक हमने इन मामलों के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राष्ट्रीय नोडल प्राधिकरण बनाया है। प्राधिकरण में विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय भी शामिल है।
जब प्राधिकरण को लगता है कि शिकायत सही है और पीड़िता के साथ अन्याय हुआ है तो वह आरोपी पति के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर देता है। इसके बाद उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया जाता है। अब तक प्राधिकरण के माध्यम से आठ पासपोर्ट रद्द किए गए हैं। पासपोर्ट रद्द होने के बाद आरोपी भागकर हमारे पास आता है और कहता है कि वह अपनी पत्नी को साथ रखने के लिए तैयार है।
विदेश मंत्री ने कहा कि बेटी को विवाह करके विदेश भेजने की ललक इस समस्या के जड़ में है। पहले यह ललक सिर्फ पंजाब में थी अब दूसरे राज्यों में भी देखी जा रही है। प्रवासी के बारे में बिना छानबीन किए मां-बाप वह जो कहता है उस पर विश्वास कर लेते हैं। इस ललक ने इन बच्चियों को जिंदगी खराब कर दी है। पश्चिम और हमारी संस्कृति में बहुत अंतर है। वहां विवाह को अनुबंध माना जाता है और इसलिए उतनी ही आसानी से तलाक भी मिल जाता है।