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Leader of Opposition will meet President on Citizenship Amendment Act - Sabguru News
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नागरिकता संशोधन कानून पर राष्ट्रपति से मिलेंगे विपक्ष के नेता

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नागरिकता संशोधन कानून पर राष्ट्रपति से मिलेंगे विपक्ष के नेता
Leader of Opposition will meet President on Citizenship Amendment Act
Leader of Opposition will meet President on Citizenship Amendment Act
Leader of Opposition will meet President on Citizenship Amendment Act

नई दिल्ली। कांग्रेस तथा वाम दलों के साथ ही कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ दिल्ली के जामिया सहित देश के विभिन्न हिस्सों में जारी हिंसा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह काे जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर उन्हें इस स्थिति से अवगत करायेंगे।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव तथा कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सोमवार को यहाँ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार जनभावनाओं के खिलाफ काम कर रही है, इसलिए पूरे देश में उसके विरुद्ध आंदोलन हो रहे हैं। विपक्षी दल इस कानून को वापस लेने की सरकार से माँग करते आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पूरा देश जल रहा है और सभी विपक्षी दल इससे चिंतित हैं। उनका कहना था कि विपक्ष के सभी दल इस मामले में एकजुट हैं और जल्द ही राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। आजाद ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राष्ट्रपति से मुलाकात का समय माँगा गया है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही समय मिल जाएगा तथा विपक्ष अपनी चिंता से राष्ट्रपति को अवगत कराएगा।

विपक्ष के सभी नेताओं ने जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इस प्रकरण की न्यायिक जाँच कराने की माँग की है। उन्होंने कहा कि यह विवाद हिंदू मुस्लिम से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिये बल्कि यह राष्ट्रीय मुद्दा है। राष्ट्रीय नागरिकता विधेयक को धर्म के आधार पर नहीं देखा जा सकता है बल्कि यह पूरी तरह से गैर-संवैधानिक है और पूरे देश के रुख को देखते हुए इसे वापस लिया जाना चाहिए।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि संसद में लाने के समय से ही इस विधेयक को लेकर लोगों में गुस्सा है, जब विधेयक लोकसभा में भी पारित नहीं हुआ था तभी से इसका विरोध देश के कई हिस्सों में शुरू हो गया था। यह कानून गैर संवैधानिक है और सरकार ने लोकसभा में अपने बहुमत के कारण इसे पारित कराया है जबकि राज्यसभा में बहुमत कम अंतर से बिल पास हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय दलों को डराया और धमकाया जा रहा है और सीधे मुख्यमंत्री से गैर संवैधानिक काम में मदद के लिए कहा जा रहा है।

येचुरी ने कहा कि यह लोकतंत्र विरोधी तथा गैर संवैधानिक कानून है और विपक्षी दल इसके विरोध में अपना संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि जामिया मिल्लिया की घटना दुखद है और वह इसकी कड़ी निंदा करते हैं। इसके लिए लोगों को सख्त सजा दी जानी चाहिए। भाकपा के डी राजा ने कहा कि पूरे देश में गृह युद्ध जैसा माहौल हो गया है और जो भी इसके लिए जिम्मेदार है, उसको सजा दी जानी चाहिए।

जावेद ने कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी दलों के साथ है। उन्होंने कहा कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर इस कानून को वापस लिया जाना चाहिए तथा इसको लेकर जो हिंसा जामिया मिल्लिया में हुई उसकी व्यापक स्तर पर उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। श्री यादव ने यह कानून वापस लेने की मांग की और कहा कि या तो यह कानून रहेगा या फिर यह सरकार ही रहेगी।

झा ने कहा कि विपक्षी दल एकजुट होकर इसका विरोध करेंगे। इसके विरोध में 21 दिसम्बर को बिहार बंद का आह्वान किया गया है। सिब्बल ने कहा कि सरकार आंकड़ों को बदलने में माहिर है। गृह मंत्री कहते हैं कि पाकिस्तान में 23 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे जबकि यह आबादी पूर्वी पाकिस्तान की थी। पश्चिमी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी पहले जितनी ही है।