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कोरोना संकट में जनता से जुड़ने का नेताओं ने निकाला 'नया डिजिटल तरीका' - Sabguru News
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कोरोना संकट में जनता से जुड़ने का नेताओं ने निकाला ‘नया डिजिटल तरीका’

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कोरोना संकट में जनता से जुड़ने का नेताओं ने निकाला ‘नया डिजिटल तरीका’
Leaders join new digital way to join public in Corona crisis
Leaders join new digital way to join public in Corona crisis
Leaders join new digital way to join public in Corona crisis

सबगुरु न्यूज। कोरोना महामारी भारत में कितनी लंबी चलेगी यह सभी राजनीतिक दलों के नेता भली-भांति जान रहे हैं, इसलिए कहीं ऐसा न हो जनता और उनके बीच संवाद का काफी अंतराल हो जाए। नेताओं ने डिजिटल रैली का नया प्रयोग किया है। राजनीतिक पार्टियों की डिजिटल विंग्स लगातार नई ​तकनीकों और विचारों के हिसाब से रणनीतियां बना रही हैं। यहां हम आपको बता दें कि कोरोना संकटकाल में पार्टियों के नेता जनता से सीधे नहीं जुड़ सकते हैं। अब उन्होंने वर्चुअल रैली के सहारे ही जनता से जुड़ने का नया तरीका खोज लिया है।

किसी मैदान में या किसी सार्वजनिक स्थान पर जब नेता रैली करते हैं तो उसे जनसभा कहा जाता है। जिसमें लोगों की हजारों लाखों की भीड़ जुटी है और नेता उनको सीधे संबोधित करते हैं। लेकिन कोरोना संकट के कारण लोगों की भीड़ जुटाना खतरे से खाली नहीं। वर्चुअल रैली में राजनैतिक पार्टियां, या कोई नेता डिजिटल माध्यम के जरिये जनसमूह को प्रभावित करने का प्रयास करता है। इसके लिए सोशल मीडिया माध्यम जैसे फेसबुक लाइव, यूट्यूब और जूम ऐप आदि के जरिये जनता को संबोधित किया जाता है और इसे ही ‘वर्चुअल रैली’ कहते हैं। वर्चुअल रैली रियल टाइम इवेंट पर आधारित होती है।

यह रैली बहुत खर्चीली व्यवस्था पर आधारित है

यह डिजिटल रैली करना आसान नहीं होता है इसके लिए पहले से तैयारी करनी पड़ती है। ‌इसे वीडियो, ग्राफिक्स और पोल के जरिये ज्यादा आकर्षित बनाया जाता है। राजनैतिक दल अलग विषयों पर फोकस करते हैं। जैसे हाल ही में अमित शाह की वर्चुअल रैली बिहार के आगामी चुनाव पर केंद्रित थी। इसके पहले जीपी नड्डा की वर्चुअल रैली मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल पर आधारित थी।

ये बहुत खर्चीली व्यवस्था है, क्योंकि एक मैदान में हजारों की भीड़ को एकत्र कर संबोधित करना आसान है लेकिन अलग अलग जगह बिखरे लोगों को वर्चुअल रैली का जिससे बनाने में काफी खर्च करने की जरूरत होती है। जैसे अमित शाह की बिहार और बंगाल में वर्चुअल रैली को लेकर करोड़ों रुपये बहा दिए गए। सोशल मीडिया पर न केवल बेतहाशा खर्च किया जा रहा है बल्कि डेटा विश्लेषण पर विमर्श हो रहा है। इस तरह की रैली में रियल टाइम इवेंट के तहत न केवल आयोजन किया जा रहा है।

कुछ कंपनियां भी कर रही हैं सहयोग

कुछ ब्रांड और कंपनियां प्लानिंग और टाइमलाइन ट्रैकिंग जैसी सेवाएं भी दे रही हैं। इसमें वीडियो के साथ ही आप ग्राफिक, पोल अन्य जानकारियों का शुमार कर सकते हैं। कुछ कंपनियां रैली के बाद वर्चुअल रैली में हाजिरी, गतिविधियों और मेल आदि से जुड़े आंकड़े और डेटा भी मुहैया करवा रही हैं। अब जानना जरूरी है कि ये रैलियां कैसे होती हैं और इसमें तकनीक के क्या पहलू हैं। अमित शाह की वर्चुअल रैली से भाजपाई गदगद हैं। वहीं अब कांग्रेस समेत अन्य दल भी वर्चुअल रैली करने की तैयारी कर चुके हैं। हो सकता है आने वाले दिनों में विपक्ष के नेता भी डिजिटल रैली से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नजर आ सकते हैं।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार