श्रीगंगानगर। राजस्थान में श्रीगंगानगर में विख्यात गजल सम्राट को संगीत की शिक्षा देने वाले उनके गुरू सुरेश प्रकाश अग्रवाल (90) का शुक्रवार को नई दिल्ली में निधन हो गया।
उनके निधन की खबर सुनते ही गंगानगर के कलाप्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। गंगानगर में करीब 70 वर्ष पहले जब यहां के लोग कल्चर के नाम पर सिर्फ एग्रीकल्चर को ही जानते थे, तब एक ऐसा शख्स सुरेन्द्र प्रकाश अग्रवाल (एस प्रकाश) सामने आया, जिसने इस अंचल में शास्त्रीय गीत-संगीत और नृत्य आदि विधाओं को बढ़ावा देने के लिए संस्था-राष्ट्रीय कला मन्दिर की स्थापना की। शुरूआत में संस्था को चलाने में उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया। धीरे-धीरे लोग जुड़े तो संस्था की यात्रा तेजी से आगे बढऩे लगी।
इसी संस्था से श्रीगंगानगर में जन्मे-पले गजल सम्राट जगजीतसिंह ने अपने गायन की शुरूआत की। संस्था ने युवा जगजीतसिंह को लगातार प्रोत्साहित किया। बाद में यही जगजीतसिंह गजल सम्राट बनकर देश-दुनिया में सुविख्यात हुए। वर्ष 1951 में राष्ट्रीय कला मन्दिर संस्था के संस्थापक सदस्यों में सबसे अहम सदस्य रहे एस प्रकाश अब इस दुनिया में नहीं रहे।
यहां श्रीगंगानगर में उनका बी ब्लॉक में स्थित निवास राष्ट्रीय कला मन्दिर की एतिहासिक सांस्कृतिक गतिविधियों का गवाह रहा है। पुरानी शैली में बने इस मकान में सनाटा पसरा है। शाम जैसे ही एस. प्रकाश का निधन हो जाने का समाचार आया, इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
कला एवं संस्कृति क्षेत्र से जुड़े अनेक लोगों ने एस प्रकाश के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। वर्ष 1951 में राष्ट्रीय कला मन्दिर की स्थापना के वर्षकाल में ही श्रीगंगानगर में एक और बड़ी संस्था-सेठ गिरधारीलाल बिहाणी उच्च माध्यमिक विद्यायल की शुरूआत हुई।
एस प्रकाश इस संस्था में तभी से अध्यापक के रूप में जुड़े। कई वर्षों तक उन्होंने इस विद्यालय मेें सेवाएं देते हुए रसायन विज्ञान पढ़ाया। इसके साथ ही उन्होंने कई वर्ष तक राष्ट्रीय कला मन्दिर के सचिव पद को सम्भाला। कला मन्दिर संस्था के माध्यम से उन्होंने शास्त्रीय संगीत, गीत, नृत्य आदि विधाओं को हमेशा ही बढ़ावा दिया।
इस संस्था के जरिये जगजीतसिंह ही नहीं, बल्कि और भी अनेक कला प्रतिभाएं निखरीं और उच्च मुकाम पर पहुंची। श्रीगंगानगर शहर में करीब 70 के दौरान राष्ट्रीय कला मन्दिर के प्रयासों से कला एवं संस्कृति जगत की अनेक हस्तियों की कला को करीब से देखने-समझने का लोगों को मौका मिला।
बताया जाता है कि दिवंगत जगजीतसिंह जब अपनी बुलंदियों पर थे, तब कला मन्दिर के प्रयासों से ही उनका श्रीगंगानगर में ऐतिहासिक कार्यक्रम हुआ। इसी कार्यक्रम की बदौलत राष्ट्रीय कला मन्दिर ने अपने ऑडिटोरियम की स्थापना की।
एस प्रकाश सहित राष्ट्रीय कला मन्दिर से जुड़े अनेक कलाप्रेमियों के सतत प्रयासों का ही नतीजा है कि आज इस इलाके में एग्रीकल्चर के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों की जमीन भी बहुत उपजाऊ-मजबूत हो गई है। राष्ट्रीय कला मन्दिर की कला यात्रा में एक और शख्सियत गोविन्द सक्सेना ने एस. प्रकाश का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया।
सक्सेना का पिछले वर्ष देहांत हो गया। एस प्रकाश इन दिनों नई दिल्ली में अपने छोटे पुत्र अनुज अग्रवाल के पास रह रहे थे। अनुज इंडियन एयरलाइंस में उच्च पद पर कार्यरत हैं। उनके दूसरे पुत्र अजय अग्रवाल यहां बी ब्लॉक में रहते हैं। एस प्रकाश का अंतिम संस्कार शनिवार को सुबह 11 बजे नई दिल्ली में किया जाएगा।
राष्ट्रीय कला मंदिर के वर्तमान सचिव सुरेंद्र कच्छवाहा ने बताया कि एस प्रकाश के निधन पर रविवार को सुबह दस बजे चौधरी रामजस कला सदन में श्रद्धांजलि सभा रखी गई है।