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Lock down: problem of food arise in labour class after fourth day of lock down - Sabguru News
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हाल-ए-सिरोही:’4 दिन पहले हज़ार रुपए थे साहब, अब वो भी ख़त्म हो गए’

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हाल-ए-सिरोही:’4 दिन पहले हज़ार रुपए थे साहब, अब वो भी ख़त्म हो गए’
सिरोही शहर में नगर परिषद मार्ग पर गुजरात हॉस्पिटल के पास गाड़ौलीया लोहार परिवार।
सिरोही शहर में नगर परिषद मार्ग पर गुजरात हॉस्पिटल के पास गाड़ौलीया लोहार परिवार।
सिरोही शहर में नगर परिषद मार्ग पर गुजरात हॉस्पिटल के पास गाड़ौलीया लोहार परिवार।

सबगुरु न्यूज़ सिरोही। साहब, चार दिन पहले जब बंद हुआ था तब हमारे पास एक हजार रुपए थे। अब वो भी ख़त्म हो गए तो खाने को लाएँगे क्या? ये व्यथा लॉक डाउन के चौथे दिन गुरुवार रात क़रीब पौने 8 बजे
ज़िला मुख्यालय में नगर परिषद मार्ग पर गुजरात हॉस्पिटल के पास झोपड़ी में रहने वाले गड़ौलिया लोहार परिवारों की थी।
गुरुवार रात को वहाँ के जनप्रतिनिधि सुरेश सागरवंशी ने जानकारी दी कि अम्बेडकर चौराहे पर बनी झोपड़ियों और पास ही स्थित गड़ौलिया लोहारों के परिवारों को भोजन किट नहीं मिल पाया है। इससे अब इनको लॉक डाउन के कारण भोजन की समस्या से दो चार होना पड़ था है।
अम्बेडकर सर्किल के पास स्थित परिवारों ने बताया कि बंदी की वजह से वो कहीं नहि पाए हैं। महिलाएँ और बच्चे भी माँगने नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में खाने की समस्या आ गई है।
पास ही स्थित गाड़ौलिया लोहार परिवारों की समस्या कुछ अलग है। आम तौर पर ये लोग अपने यहाँ बनाई लोहे की सामग्री बेचकर जीवन बसर करते हैं। इन्होंने बताया कि जिस रात बंदी हुई उस समय हज़ार रुपए थे। चार दिन में खाने पीने में ख़त्म हो गए। अब खाने की चिंता सताने लगी है। आज रात चूल्हे नहीं जलाए। कमाने जा नहीं सकते। बंदी से तो नहीं लेकिन भूख से मर जाएँगे।
ऐसा नहीं है कि ऐसे लोगों तक मदद पहुँचाने वालों की कमी है, या प्रशासन के प्रयासों में कमी है। गुरुवार को सिरोही में ही कई लोगों को कच्चे और पके भोजन के पेकेट दिए गए, लेकिन वितरण की केंद्रिकृत व्यवस्था अभाव में ऐसे कुछ परिवारो की ज़रूरत पूरी नहीं हो पाई। नगर परिषद सूचीबद्ध तरीक़े से इस वितरण को करवाना शुरू कर देगी तो ये समस्या भी ख़त्म हो जाएगी। सभापति मनु मेवाड़ा बताया है कि 200 परिवारों को भोजन पेकेट वितरित किए गए हैं। व्यवस्था को केंद्रिकृत करके इसे सुधारेंगे।