नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ईपीएफओ ने भविष्य निधि देरी से जमा कराने वाले संस्थानों से जुर्माना नहीं वसूलने के निर्देश जारी किए हैं।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने शुक्रवार को यहां बताया कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सरकार के लंबे समय तक घोषित लॉकडाउन और महामारी के कारण उत्पन्न अन्य व्यवधानों के कारण ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 के दायरे में आने वाले प्रतिष्ठान परेशानी में हैं और सामान्य रूप से कार्य करने तथा वैधानिक जमा का समय पर भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं।
इस कठिनाई को ध्यान में रखते हुए ईपीएफओ ने फैसला किया है कि परिचालन या आर्थिक कारणों से होने वाली देरी को दोष नहीं माना जाना चाहिए और इस तरह के विलम्ब के लिए दंडात्मक हर्जाना नहीं वसूला जाना चाहिए।
ईपीएफओ के क्षेत्रीय कार्यालयों को जारी एक परिपत्र में इस आशय के निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में दंडात्मक हर्जाना वसूली के लिए कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी। यह ईपीएफओ की वेबसाइट के होम पेज पर टैब कोविड-19 के अंतर्गत उपलब्ध है। इस कदम से 6.5 लाख प्रतिष्ठानों को आसानी होगी।
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