नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने समय रहते लॉकडाउन (प्रथम और द्वितीय) का जो फैसला लिया था वह बहुत ही सटीक और प्रभावी कदम था और इसी की वजह से देश में 14 से 29 लाख काेरोना केसों को सामने आने और 37 हजार से 78 हजार मौतों को होने से रोक लिया गया है।
नीति आयोग के सदस्य और कोरोना ने निपटने के लिए बनाए गए 11 उच्चाधिकार प्राप्त समूहों में से प्रथम समूह के अध्यक्ष डा़ वी के पॉल ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि केन्द्र सरकार ने समय रहते लॉकडाउन का फैसला लिया था और इसी की वजह से आज बड़ी संख्या में लाेंगों की मौत हो गई होती । इसकी वजह से अधिक केसों की दर काे रोक लिया गया है और संक्रमण के प्रसार की दर में कमी आई है।
उन्होंने बताया कि तीन अप्रैल को देश में काेराेना के नए मामलों की वृद्वि दर 22.6 प्रतिशत थी और 15 मई को यह घटकर 5.5 प्रतिशत रह गई थी। इसके अलावा 28 मार्च को मृत्यु दर 71़ 4 प्रतिशत थी जो 15 मई को घटकर 5़ 5 प्रतिशत पर आ गई थी।
डा़ पाॅल ने कहा कि अगर लॉकडाउन नहीं होता तो आज देश में करोडों लोगों में संक्रमण हो गया होता और मौतों का आंकडा भी अकल्पनीय होता , मगर लाॅकडाउन ने विषाणु संक्रमण को एक ही स्थान पर सीमित कर दिया और इस बीच हमें जा समय मिला उसका इस्तेमाल देश में स्वास्थ्य ढांचे में सुधार करने , कोरोना से निपटने की तैयारियों में किया गया। हम अब भविष्य के लिए तैयार हैं और इस समय देश में एक लाख 38 हजार 653 आइसोलशन बिस्तर और कोविड केयर सेंटरों में साढ़े छह लाख बिस्तर हैं जिनका इस्तेमाल किसी भी स्थिति से निपटने में किया जा सकता है।
डा़ पाॅल ने बताया कि लॉकडाउन के जितने भी चरण देश में लागू किए गए हैं उनका लाभ इस नजरिए से देखने को मिल रहा है कि इसने विषाणु संक्रमण को बहुुत की कम सीमित कर दिया है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि 21 मई तक कोरोना 80 प्रतिशत मामले देश के पांच राज्योें महाराष्ट्र , तमिलनाडु, गुजरात , मध्यप्रदेश और दिल्ली में हैं और 90 प्रतिशत से अधिक मामले दस राज्यों राजस्थान , उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार , कर्नाटक,महाराष्ट्र , तमिलनाडु, गुजरात , मध्यप्रदेश और दिल्ली में हैं।
कोरोना के 60 प्रतिशत से अधिक मामले पांच शहरों मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और ठाणे में हैं और 70 प्रतिशत से अधिक मामले 10 शहरों पुणे,इंदौर, कोलकाता , हैदराबाद , औरंगाबाद ,मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और ठाणे तक सीमित हैं।
उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन के चलते लोगोें का प्रसार बहुत ही सीमित रहा था और इसकी वजह कोरोना के गंभीर मामलों में लोगों की मौत का आंकड़ा भी बहुत ही सीमित क्षेत्रों तक देखने को मिला है। काेरोना के कारण 80 प्रतिशत से अधिक मौतें पांच राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में हुई है और 60 प्रतिशत मौतें मुंबई, अहमदाबाद , पुणे, दिल्ली और कोलकाता में दर्ज की गई हैं।
डा़ पॉल ने बताया कि कोरोना महामारी ने देश को नए सिरे से तैयार करने में सक्षम बना दिया है और जिस समय कोरोना महामारी देश में आई थी उस समय न तो हमारे पास पर्याप्त संख्या में प्रयोगशालाएं थी और न ही कोरेाना के लिए अलग से अस्पताल थे। लेकिन इस समय का उपयोग सरकार ने अपनी तैयारियों के लिए किया और हर क्षेत्र में अपनी तैयारियों को बढ़ाया। जनवरी में देश में कोरोना की जांच के लिए एक प्रयोगशाला थी लेकिन आज 522 प्रयोगशालाएं कोरोना जांच में अहम भूमिका निभा रही है।
इसके अलावा देश में पीपीई आवरआल और एन -95 मॉस्क का निर्माण भी शुरू कर दिया गया और अब तक 30 लाख पीपीई विभिन्न राज्यों काे दिए जा चुके हैं तथा इस क्षेत्र में 109 घरेलू मैनुफैक्चरर्स आ चुके हैं और आने वाले समय में इनकी क्षमता तीन लाख प्रतिदिन हो जाएगी। इसके अलावा एन-95 मॉस्क भी बनाए जा रहे हैं और इनकी क्षमता 43 लाख हो गई है। यह सारी तैयारी दो माह से कम समय में की गई है।