सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही विधानसभा क्षेत्र से जीवाराम आर्य को कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित करने में संयम लोढ़ा की सहमति रही या असहमति यह जानने के लिए जिलेभर से कांग्रेस जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और समर्थकों की भीड़ शिवगंज में जुटने लगी है।
इस टिकिट से जिले में कांग्रेस के पदाधिकारी व संयम समर्थक सदमे में तो हैं। इस सदमे से बाहर निकलने के लिए यह लोग संयम लोढ़ा से यह जानने के लिए एकत्रित हो रहे हैं कि जीवाराम आर्य को टिकिट उनकी सहमति से मिला है या पार्टी प्रमुख ने अपने स्तर पर लोढा को दरकिनार किया है। इतना ही नहीं यह भी राय निकलकर सामने आ रही है कि यदि हाईकमान ने यह काम सिरोही कांग्रेस में फूट डालने के लिए किया है तो आर्य स्वयं पार्टी हाईकमान से चुनाव नहीं लड़ने की बात कहें।
-जिलाध्यक्ष हैं जीवाराम आर्य
जीवाराम आर्य फिलहाल कांग्रेस में जिलाध्यक्ष हैं। इन्हें संयम लोढ़ा के समर्थन से जिलाध्यक्ष बनाया गया है। ब्लाॅक से लेकर बूथ स्तर तक की पूरी टीम संमय लोढ़ा की तैयार की हुई है। ऐसे में यदि जीवाराम आर्य को टिकिट दिए जाने में लोढ़ा की सहमति नहीं है या वह सहमति नहीं जताते हैं तो फिर सिरोही में कांग्रेस के लिए समस्या खडी हो सकती है। क्योंकि पांच साल जिले में कांग्रेस का संगठन तैयार करने और उसे जिंदा रखने में लोढ़ा की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।
-अंतर ज्यादा का नहीं
जिले में इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा है। ऐसे में हार जीत का अंतर कुछ ज्यादा नहीं रहने वाला। भाजपा के विरोध में चाहें जितनी भी लहर हो, लेकिन कांग्रेस के लिए 16 तारीख को टिकिट वितरित करना भारी पड़ सकता है।
टिकिट वितरण की स्थिति से यह स्पष्ट है कि इसमें गहलोत गुट की स्पष्ट चली है। ऐसे में हाईकमान के निर्णयों को पटखनी देने के लिए कांग्रेस में फूट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। यदि सिरोही जिले में ऐसी स्थिति आती है तो निस्संदेह भाजपा की राह पूर्व चुनावों से भी ज्यादा आसान होगी।
-तो किसके साथ होंगे कार्यकर्ता
जिले में कांग्रेस का पूरा सक्रिय सांगठनिक ढांचा संयम लोढ़ा द्वारा तैयार किया हुआ है। ऐसे में यदि जीवाराम आर्य को टिकिट लोढ़ा को कमजोर करने के लिए दिया गया है तो कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के सामने यह स्पष्ट करना मुश्किल होगा कि वह संगठन के साथ रहें या न्यूट्रल।