सबगुरु न्यूज – सिरोही। शहर में एक सप्ताह पहले हुई घटना चर्चा का विषय बनी हुई है और वह घटना ऐसी है जिसे कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता । चर्चा यह है कि सिरोही विधायक संयम लोढ़ा की टीम जब सिरोही विधायक द्वारा सिरोही में करवाए गए विकास कार्यों का ब्यौरा लेकर वार्ड में पहुंची तो वहां की महिला ने गवर्नेंस को लेकर उन्हें होने वाली आम समस्या पर घेर लिया।
यहां के बूथ से उन्हें विधानसभा चुनाव में 80 से 90% वोट मिले हैं। सिर्फ विकास और इवेंट के शोर की आड़ में गवर्नेंस को ठिकाने लगाकर आगामी विधानसभा चुनाव में जाने की तैयारी कर रहे विधायक संयम लोढ़ा के लिए ये घटना आई ओपनर है।
संयम लोढ़ा के पुत्र शिवी लोढ़ा के नेतृत्व में स्थानीय कांग्रेस के जनप्रतिनिधि और नेताओं के साथ लोढ़ा द्वारा किए गए विकास कार्यों का पैंफलेट लेकर लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। ऐसा ही एक सप्ताह पहले भी किया गया। लोगों को पैंफलेट बांटते हुए संयम लोढ़ा के विकास कार्यों को समझाते हुए ये लोग इस्कॉन प्लाजा के सामने वाली गली में सिपाहियों का वास इलाके में पहुंचे। एक घर के सामने पहुंचे तो नेताओं ने वहां की महिला को बताया कि ये शिवी लोढ़ा हैं।
महिला को संयम लोढ़ा के करवाए विकास कार्यों के बारे में बताया। इस पर महिला ने तपाक से शिवी लोढ़ा के सामने ही कहा कि ‘इसका क्या करें जब पीने का पानी ही नहीं आता है हमारे यहां पर।’ महिला के इस तरह शिकायत दर्ज करवाने पर सब चौंक भी गए। लेकिन, शहर में रामराज ला चुकने का मुगालता पाले लोढ़ा समर्थकों की आंख इस महिला ने खोली तो इसे पार्षद का काम बता कर टालने की कोशिश की और पिंड छुड़वाया।
– आठ महीने से बताई है ये समस्या
जिस समस्या को लेकर शिवी लोढ़ा के साथ गए लोगों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी और जिसे पार्षद की समस्या बताकर टालने की कोशिश की गई, उस मामले के बारे में संबंधित पार्षद ने सितम्बर,22 को ही विधायक संयम लोढ़ा को बता दिया था। उन्हे 1 सितम्बर और 12 सितम्बर को एईएन को उनके मोहल्ले में पानी की समस्या दुरुस्त नहीं होने के लिए दिए गए पत्र के साथ ये शिकायत की थी कि जलदाय विभाग के कर्मचारी उनकी सुनते नहीं हैं। लेकिन, तब से उसकी सुनवाई नहीं हुई।
सिरोही शहर की व्यवस्था शिवी लोढ़ा देख रहे हैं। ऐसे में उनके द्वारा स्थानीय समस्याओं का ब्यौरा मांगने पर भी इसी गली की पानी की समस्या को लिखकर भेजा था। लेकिन, काम नहीं हुआ।
विधायक लोढ़ा के लिए 2008 से लेकर 2018 तक वोट के लिए गलियों में भागने वाले कार्यकर्ताओं की अधिकारी कितनी सुन रहे हैं इसका उदाहरण सरजावाव दरवाजे की टूटी सड़क है। जलदाय विभाग को यहां टूटी पाइप सुधारने को कहने के एक पखवाड़े बाद भी इसे सुधारा नहीं। जिसके परिणामस्वरूप आज तक ये सड़क टूटी हुईं है। अंदरखाने चर्चा ये है कि बिना विधायक की अनुमति के कोई काम नहीं करने के अधिकारियों के रवैए के कारण सिरोही के पार्षद और लोढ़ा के लिए वोट जुटाने वाले कार्यकर्ता फिलहाल सिर्फ एक नंबर बन चुके हैं।
– आयुक्त कमरे में नहीं घुसने देते, दूसरे विभाग क्या सुनेंगे
भले ही पानी की समस्या के निराकरण को पार्षद के गले में डालकर अपना गला बचा लिया हो। लेकिन, शहर में किसे सिरोही में कांग्रेस पार्षदों की स्थिति पता नहीं है। संयम लोढ़ा ने सिरोही में अनिल झिंगोनिया जैसे ऐसे आयुक्त लगवाए जो सिरोही की बजाय शिवगंज और आबूरोड के पार्षदों की बात सुनते। शुरू में पार्षदों को उनके चेंबर में बिना पूर्व अनुमति के घुसने नहीं देने को लेकर कई बार बवाल सुर्खियों में रहे।
ऐसे आरोप भी लगे कि पार्षदों द्वारा ले जाए गए जिन अतिक्रमण नियमन के पट्टे वो डूब क्षेत्र, नाले के पास होने और न जाने किन बहानों से टाल देते थे। उनके एपीओ होने के बाद पार्षदों को पता चला कि ऐसे कई सारे पट्टे पीछे से जारी दिए। इन लोगो ने ये भी बताया कि कौनसी न्यूनतम आवश्यकता पूरी करने पर पट्टे जारी करवाए हैं ये खुलासा भी पट्टा लेने वालों ने किया। इस अवश्यकता की ब्याज समेत वसूली चुनाव में कर दी तो आफत आ जानी है। जिस न्यूनतम आवश्यकता को पूरी करने का इन लोगों ने पार्षदों को बताया उसके बाद तो ये लोग इन लोगों के पास वोट मांगने भी नहीं जा सकते। 69 के पट्टों पर भी पार्षदों की नहीं सुनते। ऐसे में दूसरे विभाग के अधिकारी इन पार्षदों की कितना सुनेंगे ये बताने की जरूरत नहीं।
– गवर्नेंस ऐसे ही फेल रही तो धरा रह जाएगा विकास
संयम लोढ़ा ये मान कर बैठ चुके हैं कि उन्होंने सिरोही को बहुत ढांचागत विकास दिया है, ऐसे में उनको सिर आंखों पर उठाया जाने वाला है। तो ये सिपाहियो के वास की घटना से उन्हे आंख खोल लेनी चाहिए। शहीद स्मारक, लवकुश वाटिका, टाउन हॉल और ऐसे कई ढांचे सिरोही विधानसभा के सिर्फ 2 से 5 प्रतिशत लोग नियमित इस्तेमाल करते हैं या करेंगे। लेकिन, मेडिकल कॉलेज से संबद्ध होने के बाद बेहाल हो चुका हॉस्पिटल, नगर परिषद, पानी, सड़क, सफाई, रोड लाइट और ऐसी कितनी चीजें हैं जो सिरोही के 80 से 95 प्रतिशत लोग प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं। किसी जनप्रतिनिधि का बनना या बिगड़ना इन्हीं चीजों पर निर्भर है।
चार साल पहले 1 मार्च 2019 को इसी सिपाहियो के वास से सटे कोतवाली के बाहर की जिस नाली में कीचड़ की परत को संयम लोढ़ा डंडी डालकर देख रहे थे उसकी स्थिति आज 4 साल बाद भी वैसी ही है। शनिवार को परशुराम जयंती की शोभायात्रा के पहले सरजावा दरवाजे पर खड़े संयम लोढ़ा के सामने ही नाली के पानी ने दरवाजे को गंदे पानी का तालाब बना दिया। हाथोंहाथ सफाई कर्मचारी बुलाकर सफाई करवाई गई। ये बर्बाद गर्वनेंस के कारण बदहाल हालात का एक जगह का उदाहरण भर है, पूरे शहर में ऐसे ही हालात हैं।
ये तो अच्छा है कि वहां सिपाहियो के वास की घटना के बाद पार्षद भी ऐसी ही लोगो के पास ले जा रहे हैं जिनके बारे में पता है कि ये कुछ नहीं बोलेंगे। विधायक के ‘सब चंगा सी’ मान लेने और यही दूसरों से भी सुनने की आदत के कारण अब सिरोही का कोई कार्यकर्ता समस्या बताता भी नहीं है। जिससे सिरोही शहर ही नहीं गांवों में भी रोजमर्रा की आवश्यक सुविधाओं के अभाव को लेकर लोगो में रोष पनप रहा है।
पंचायत चुनावों में संयम लोढ़ा के नेतृत्व में कांग्रेस की सिरोही और शिवगंज में जबर्दस्त हार के पीछे कांग्रेस की फूट के अलावा इसी फेल गवर्नेंस का भी हाथ था। संयम लोढ़ा अपने विकास की सूची में से सिरोही में सिवरेज लाइन की उपलब्धि खुद ओढ़ने से बचें तो और भी अच्छा है, क्योंकि सिरोही के लोगों को धरती पर जीते जी नर्क रुडीप और एलएंडटी ने ही दिखाया है। शांति नगर, माली समाज छात्रावास रोड , भद्रकर नगर जैसे जिन इलाकों में काम पूरा हो गया है, वहां सीवरेज चैंबर मुंहासों की तरह निकले हुए या चेचक की तरह दबे हुए हैं। जहां काम चल रहा है वहां का तो भगवान मालिक है।