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Lohri is a symbol of happy arrival today this festival - Sabguru News
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लोहड़ी आज, खुशहाली आगमन का प्रतीक है ये त्याेहार

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लोहड़ी आज, खुशहाली आगमन का प्रतीक है ये त्याेहार

जयपुर। लोहड़ी का त्याेहार आज पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लोहड़ी की सबसे ज्यादा धूम पंजाब में रहती है। हालांकि देश के कई राज्यों में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है। नई फसल आने की खुशी में मनाया जानेवाला त्योहार लोहड़ी की मान्यता है कि इस दिन की रात सबसे लंबी और दिन छोटा होता है़। अगले दिन से रात छोटी और दिन बड़ा होने लगता है़। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं। लोहड़ी के दिन घरों के सामने खुली जगहों की साफ-सफाई होती है़  इसके बाद लकड़ी, उपले आदि को इकट्ठा किया जाता है़।

लोहड़ी को मनाने के पीछे यह लोककथा प्रचलित है

मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी पर्व मनाया जाता है। इस पर्व के मनाए जाने के पीछे एक प्रचलित लोक कथा भी है कि मकर संक्रांति के दिन कंस ने कृष्ण को मारने के लिए लोहिता राक्षसी को गोकुल में भेजा था, जिसे कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना की स्मृति में लोहिता का पावन पर्व मनाया जाता है। सिन्धी समाज में भी मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व ‘लाल लाही’ के रूप में मनाया जाता है।

रेवड़ी, मूंगफली और गजक खाना शुभ माना जाता है

लोहड़ी पर रेवड़ी मूंगफली और गजक को खाना शुभ माना जाता है। इस दिन गजक की बाजारों में खूब बिक्री होती है।सूर्यास्त के बाद इसकी पूजा-अर्चना कर इसे प्रज्जवलित की जाती है़। रेवड़ी, मूंगफली, मकई का लावा, गजक आदि अग्नि देव को समर्पित किया जाता है़। ठंड की विदाई और खुशहाली की कामना की जाती है़  गिद्दा व भांगड़ा गाकर खुशी का इजहार करते हैं। इस दिन नया सामान खरीदने की भी परंपरा है़  लोहड़ी से पूर्व विवाहित बेटियों को घर आने का निमंत्रण दिया जाता है।

इस त्याेहार का ये है धार्मिक महत्व

माना जाता है इस दिन धरती सूर्य से अपने सुदूर बिन्दु से फिर दोबारा सूर्य की ओर मुख करना प्रारम्भ कर देती है। यह पर्व खुशहाली के आगमन का प्रतीक भी है। साल के पहले मास जनवरी में जब यह पर्व मनाया जाता है उस समय सर्दी का मौसम जाने को होता है। इस पर्व की धूम उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में ज्यादा होती है। कृषक समुदाय में यह पर्व उत्साह और उमंग का संचार करता है क्योंकि इस पर्व तक उनकी वह फसल पक कर तैयार हो चुकी होती है  जिसको उन्होंने अथक मेहनत से बोया और सींचा था। पर्व के दिन रात को जब लोहड़ी जलाई जाती है तो उसकी पूजा गेहूं की नयी फसल की बालों से ही की जाती है।

भांगड़ा कर सभी मनाते हैं जश्न

लोहड़ी की शाम को आग जलाकर पंजाबी और सिंधी समुदाय के अलावा भी कई समुदाय भांगड़ा करते हैं। आग जलाकर ढोल की थाप पर जमकर भांगड़ा करते हैं।

लोहड़ी का त्योहार समाज के कल्याण भाव को भी दिखाता है। इस दिन पुरुष भंगड़ा और महिलाएं गिद्दा करती हैं। लोग सांस्कृतिक गीत गाकर डांस करते हैं और एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते हैं। इस दौरान परिवार और दोस्त मिलकर जश्न मनाते हैं। रात के वक्‍त सब लोग खुले आसामन के नीचे आग जलाकर उसके चारों ओर चक्‍कर काटते हुए लोक गीत गाते हैं, नाचते हैं और मूंगफली, मकई, रेवड़ी व गजक खाते हैं।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार