भरतपुर। राजस्थान में कांग्रेस के दबदबे वाले भरतपुर (सुरक्षित) संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार रंजीता कुमारी एवं कांग्रेस के नए चेहरे अभिजीत कुमार जाटव के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है।
राज्य में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण छह मई को होने वाले मतदान के लिए भरतपुर से इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी के सूरज मल, पीआरसीपी के मुन्नी राम एवं एपीओआई के मंगलराम गोदरा सहित दस उम्मीदवारों ने अपना नामांकन पत्र भरा है।
अब दो दिन बाद नाम वापसी के पश्चात स्पष्ट हो सकेगा कि कुल कितने प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे रहेंगे लेकिन गुरुवार को नामांकन के आखिरी दिन जो नाम सामने आए हैं उससे यह लगता है कि भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों में सीधा मुकाबला होने के आसार है। रंजीता कुमारी पूर्व सांसद गंगाराम कोली की बहु है।
कोली भरतपुर जिले की बयाना संसदीय सीट से वर्ष 1991, 1996 एवं 1998 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में तीन बार लोकसभा चुनाव जीता और इस बार भाजपा ने रंजीता कुमारी को चुनाव मैदान में उतारा है। रंजीता कुमारी को श्री कोली के राजनीतिक प्रभुत्व का फायदा मिल सकता है।
उनका मुकाबला कांग्रेस के नए चेहरे अभिजीत जाटव से होगा। अन्य दलों के प्रत्याशियों के इन दोनों दलों को कड़ी चुनौती पेश करने की संभावना कम लग रही है, ऐसे में इस सीट पर भाजपा एवं कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला होने के आसार बनते जा रहे है।
इस बार मोदी लहर का असर भी देखने को मिल रहा है जिसमें लोग पार्टी एवं चेहरा नहीं देख रहे हैं और मोदी के नाम पर वोट करने की बात की जा रही है। ऐसे में स्थानीय मुद्दे गौंण नजर आ रहे हैं।
भरतपुर संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए सोलह लोकसभा चुनावों में सात बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है जबकि पांच बार भारतीय जनता पार्टी एवं दो बार जनता पार्टी तथा दो बार निर्दलीयों ने बाजी मारी।
भरतपुर से पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने वर्ष 1984 एवं 1998 में दो बार एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट ने वर्ष 1980 में कांग्रेस उम्मीदवार तथा राज्य के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने 1989 में जनता पार्टी तथा वर्ष 1999 एवं 2004 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता था।
राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में मंत्री रही कृष्णेन्द्र कौर (दीपा) ने भी वर्ष 1991 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता। इसके बाद भरतपुर की पूर्व महारानी दिव्या सिंह ने भी वर्ष 1996 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की।
कांग्रेस ने वर्ष 1957 में हुए दूसरी लोकसभा चुनाव में अपना खाता खोला। राजबहादुर सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीता। इसके अगले चुनाव वर्ष 1962 तथा वर्ष 1971 के चुनाव में भी राजबहादुर विजयी रहे। इनके अलावा वर्ष 2009 में पन्द्रहवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के रतन सिंह जीते जबकि इसके अगले चुनाव वर्ष 2014 में भाजपा प्रत्याशी बहादुर सिंह कोली ने चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व कायम किया।
इस दौरान श्री विश्वेन्द्र सिंह से पहले वर्ष 1977 में राम किशन ने भी जनता पार्टी उम्मीदवार के रुप में जीत हासिल की। इन चुनावों में दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपनी जीत दर्ज कराई, जिनमें पहले वर्ष 1951 में हुए लोकसभा चुनाव में गिर्राज सरन सिंह तथा वर्ष 1967 में चौथे लोकसभा चुनाव में बृजेन्द्र सिंह शामिल है।