नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर सवार भारतीय जनता पार्टी इस बार लोकसभा चुनावों में न केवल ऐतिहासिक जीत हासिल कर रही है बल्कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी उसने अपनी स्थिति मजबूत कर विरोधियों की बोलती बंद कर दी है।
भाजपा की जबर्दस्त जीत के आगे देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस कहीं टिक नहीं पाई है और वह पचास सीटों के आस- पास सिमट कर रह गई है जिसके चलते पिछली बार की तरह वह इस बार भी लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद हासिल करने की स्थिति में नहीं लग रही। कांग्रेस की करारी पराजय से साफ है कि जनता ने उसकी ‘न्याय’ योजना को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की हार स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को शानदार जीत के लिए बधाई दी है। उन्होंने अमेठी सीट पर अपनी प्रतिद्वंद्वी केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी बधाई दी है।
मोदी की लोकप्रियता और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संगठन कौशल की मदद से भाजपा पहली बार लाेकसभा में 300 का आंकड़ा छू रही है और लगातार दूसरी बार केंद्र में उसकी बहुमत की सरकार बनेगी। वर्ष 1971 के बाद यह दूसरा मौका होगा जब किसी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उनकी पार्टी की लगातार दूसरी बार बहुमत की सरकार बनने जा रही है।
भाजपा ने 2014 की तरह ही इस बार भी पश्चिम और उत्तर भारत में एकतरफा जीत दर्ज की। उसने पूर्वी राज्यों पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी अपना प्रदर्शन सुधारा। गत दिसंबर में जिन तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उसे सरकार से हाथ धोना पड़ा था वहां भी इन चुनावों में उसने शानदार सफलता हासिल की है और कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अब दक्षिण भारत के केवल चार राज्यों आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में ही उसकी स्थिति कमजोर रह गई है।
चुनाव परिणाम धीमी गति से आ रहे हैं। शाम छह बजे तक केवल 43 सीटों के परिणाम आए हैं जिनमें से 27 भाजपा के पक्ष में गए हैं जबकि सात सीटें कांग्रेस को तथा एक-एक सीट उसके सहयोगी दलों जनता दल एस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेन्स और द्रमुक को मिली हैं।
तेलंगाना राष्ट्र समिति को दो, लोकजन शक्ति पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को एक-एक सीट मिली है। परिणाम और मतगणना के रूझानों में मिली बढत के आधार पर भाजपा 303 सीटें जीतने जा रही है। यह उसका अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। भाजपा की सहयोगी शिवसेना को 18 , जनता दल यूनाइटेड को 16 तथा लोक जनशक्ति पार्टी को छह सीटें मिल रही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के धुंआधार प्रचार और प्रियंका गांधी को महासचिव के रूप में उतारने के बावजूद पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है। वह सीटों के मामले में पिछली बार के आस-पास ही है। केरल और पंजाब ने कुछ हद तक पार्टी की लाज बचा ली है नहीं तो उसका प्रदर्शन पिछली बार से भी नीचे जा सकता था। अब तक घोषित परिणामों में दो उसके पक्ष में गए हैं जबकि 48 सीटों पर उसके उम्मीदवार आगे हैं। गांधी अमेठी सीट पर पीछे चल रहे हैं लेकिन केरल की वायनाड सीट पर उन्होंने अच्छी बढत बना ली है।
पश्चिम बंगाल में मोदी की लोकप्रियता के आगे तृणमूल कांग्रेस को इस बार भारी नुकसान हुआ है और उसे 23 सीटें ही मिल रही हैं। आन्ध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने तेलुगु देशम पार्टी को करारी शिकस्त देते हुए राज्य में सत्ता से बाहर कर दिया है और लोकसभा चुनाव में भी उसका सूपड़ा साफ कर दिया है। वह लोकसभा की 25 में से 22 सीटों पर आगे है।
कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) का गठबंधन तमिलनाडु में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। एम करूणानिधि के निधन के बाद उनके बेटे स्टालिन के नेतृत्व में द्रमुक ने जबरदस्त वापसी की है। पार्टी के उम्मीदवार 23 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि कांग्रेस को 8 सीटें मिल रही हैं। दो-दो सीटों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी आगे है। राज्य में सत्तारूढ अन्नाद्रमुक को भारी नुकसान झेलना पड़ा है और उसे केवल एक सीट से संतोष करना पड़ सकता है।
ओडिशा में भी भाजपा रिकार्ड तोड प्रदर्शन करते हुए 9 सीटों पर बढत बनाए हुए है जबकि पिछली बार उसे महज एक सीट मिली थी। लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल को नुकसान हुआ है और उसे 13 सीटें मिल रही हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में आ गयी है। बीजद प्रमुख नवीन पटनायक पांचवी बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कांग्रेस को इस बार भी राज्य में लोकसभा की भी एक भी सीट नहीं मिल रही है।
भाजपा उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन पर भी भारी पड़ी है। उसे राज्य की 80 में से 61 सीट मिल रही हैं हालाकि पिछले लोकसभा सीटों की तुलना में उसे 10 सीटों का नुकसान हो रहा है। बहुजन समाज पार्टी 10 और समाजवादी पार्टी छह सीटों पर बढ़त बनाये हुए हैं। कांग्रेस एक तथा अपना दल (सोनेलाल) दो सीटों पर आगे है।
गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश में भाजपा अपना पिछला प्रदर्शन दोहराते हुए सीधी लड़ाई में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सहित कई दिग्गज नेता भारी बढत के साथ चुनाव जीत रहे हैं।
कांग्रेस को सिर्फ केरल और पंजाब का सहारा
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का केरल और पंजाब छोड़कर अन्य राज्यों में एक बार फिर सफाया होता नजर आ रहा है। चुनाव आयोग के दोपहर 12 बजे तक मिले रुझानों के अनुसार कांग्रेस को पिछले आम चुनाव की तरह इस बार भी भारतीय जनता पार्टी के हाथों करारी शिकस्त मिलती दिख रही है और अब तक वह 542 सीटों में से सिर्फ 50 सीटों पर ही बढत बनाए हुए है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी से पिछड रहे हैं।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी परंपरागत सीट रायबरेली से आगे चल रही हैं लेकिन मल्लिकार्जुन खडगेे, दिग्विजयसिंह, शीला दीक्षित, सलमान खुर्शीद, भूपेंद्रसिंह हुड्डा, हरीश रावत, सुशील कुमार शिंदे, कुमारी सैलजा जैसे पार्टी के दिग्गज पीछे चल रहे हैं।
इस चुनाव में बुरी तरह पिछड़ रही कांग्रेस को सिर्फ केरल और पंजाब में कुछ राहत मिलती दिख रही है। अन्य राज्यों में उसका सफाया होता नजर आ रहा है। केरल की 20 सीटों मेंवह 15 पर आगे चल रही है। राज्य की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे गांधी ने अच्छी खासी बढत बना ली है। पंजाब की 13 सीटों में से कांग्रेस आठ सीटों पर आगे चल रही है।
गत दिसम्बर में कांग्रेस जिन तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में सरकार बनाने में सफल रही थी वहां भी उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है।
राजस्थान में जहां उसका खाता भी नहीं खुल रहा है वहीं मध्य प्रदेश में उसे महज एक सीट पर और छत्तीसगढ में वह दो सीट पर आगे चल रही है। मध्य प्रदेश में पार्टी महासचिव ज्योतिरादितय सिंधिया अपने गढ गुना में पीछे चल रहे है।
पिछले चुनाव की तरह इस बार भी गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल, दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों में उसका सूपड़ा साफ होता दिख रहा है।