Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
lok sabha elections 2019 : jaipur rural and urban lok sabha constituencies-लोकसभा चुनाव : जयपुर में कांग्रेस के लिए भाजपा का गढ़ भेदना कठिन - Sabguru News
होम Headlines लोकसभा चुनाव : जयपुर में कांग्रेस के लिए भाजपा का गढ़ भेदना कठिन

लोकसभा चुनाव : जयपुर में कांग्रेस के लिए भाजपा का गढ़ भेदना कठिन

0
लोकसभा चुनाव : जयपुर में कांग्रेस के लिए भाजपा का गढ़ भेदना कठिन

जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में जयपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के लिए भारतीय जनता पार्टी का गढ़ भेद पाने की कड़ी चुनौती है जहां उसकी प्रत्याशी पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल का भाजपा प्रत्याशी सांसद रामचरण बोहरा से सीधा मुकाबला होने के आसार है।

राज्य में दूसरे चरण के तहत छह मई को जयपुर संसदीय सीट पर होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए इन दोनों प्रमुख दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी उमराव सालोदिया सहित 34 प्रत्याशियों ने अपने नामांकन पत्र भरे है।

हालांकि 22 अप्रेल को नाम वापसी के बाद चुनाव लड़ने वाले कुल उम्मीदवारों का पता चल पाएगा लेकिन नामांकन के बाद जो प्रत्याशियों के नाम सामने आया है, उससे लग रहा है कि यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है। ज्योति खंडेलवाल पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही है जबकि बोहरा दूसरी बार लोकसभा चुनाव मैदान में है। बोहरा ने 2014 का चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे।

भाजपा का गढ़ जयपुर संसदीय क्षेत्र में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कई नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और माहौल ज्योति खंडेलवाल के पक्ष में करने में लगे है। कांग्रेस प्रत्याशी राज्य में कांग्रेस की सरकार होने एवं किसानों का कर्ज माफी सहित राज्य सरकार की कई उपलब्धियों के कारण जीत के प्रति आशान्वित हैं वहीं भाजपा के बोहरा केन्द्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों के सहारे दूसरी बार जीत की उम्मीद कर रहे है। भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में भाजपा के राजस्थान प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर सहित कई नेता चुनाव प्रचार में लगे हैं।

जयपुर संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें हवामहल, विद्याधर नगर, सिविल लाइंस, किशनपोल बाजार, आदर्शनगर, मालवीय नगर, सांगानेर एवं बगरु विधानसभा क्षेत्र शामिल है। पिछले विधानसभा चुनाव में इनमें पांच सीटें कांग्रेस ने जीती, जबकि तीन पर भाजपा का कब्जा है। सिविल लाइंस से जीतने वाले प्रताप सिंह खाचरियावास गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री है जबकि हवामहल से चुनाव जीतने वाले महेश जोशी सरकारी मुख्य सचेतक है।

जयपुर संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए सोलह लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सात बार चुनाव जीता हैं, जिनमें गिरधारी लाल भार्गव सर्वाधिक छह बार चुनाव जीतककर पूर्व केन्द्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा के जीत के रिकॉर्ड की बराबरी की।

भार्गव ने वर्ष 1989 में नौवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व जयपुर महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह को चौरासी हजार से अधिक मतों से हराया। इसके बाद उन्होंने दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं तथा चौदहवीं लोकसभा तक लगातार छह बार लोकसभा चुनाव जीता। इससे पहले वह वह वर्ष 1972 में जयपुर के हवामहल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बने और पांच बार विधायक रहे।

भार्गव ने वर्ष 1991 में दसवीं लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी नवलकिशोर शर्मा को सवा लाख से अधिक मतों से हराया। इसी तरह वर्ष 1996 में दिनेश चंद स्वामी एवं वर्ष 1998 में एम सईद खान को एक लाख से अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता।

इसके बाद उन्होंने वर्ष 1999 में रघु शर्मा को एक लाख चालीस हजार से अधिक तथा वर्ष 2004 में प्रताप सिंह खाचरियावास को एक लाख से अधिक मतों से हराया था। शर्मा वर्तमान में राज्य की कांग्रेस सरकार में चिकित्सा मंत्री एवं खाचरियावास परिवहन मंत्री हैं।

इससे पहले जयपुर संसदीय क्षेत्र में जयपुर की पूर्व राजमाता गायत्री देवी का भी दबदबा रहा और उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रुप में वर्ष 1962 में तीसरी लोकसभा का चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची और इसके बाद अगले वर्ष 1967 एवं वर्ष 1971 के दोनों लोकसभा चुनाव जीते। इस क्षेत्र में वर्ष 1977 में लोकदल एवं वर्ष 1980 में जनता पार्टी उम्मीदवार के रुप में सतीश चंद्र अग्रवाल ने लगातार दो जीत दर्ज की।

जयपुर में पहली लोकसभा का चुनाव जीतने वाली कांग्रेस केवल तीन बार ही चुनाव जीत सकी। वर्ष 1952 में कांग्रेस के दौलतमल, वर्ष 1984 में नवलकिशोर शर्मा तथा वर्ष 2009 में महेश जोशी ने चुनाव जीता जबकि 1957 में हुए दूसरी लोकसभा के चुनाव में हरीश चंद्र शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीता। इस बार लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए फिर से राजनीतिक प्रभुत्व कायम करने की कड़ी चुनौती रहेगी वहीं भाजपा के लिए अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने की चुनौती होगी।