नई दिल्ली। कांग्रेस ने स्कूली शिक्षा को राज्य सूची में शामिल करने का वादा करते हुए मंगलवार को कहा कि शिक्षा का समस्त खर्च सरकार उठाएगी और इस पर सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत खर्च किया जाएगा।
कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नेे अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ यहां पार्टी मुख्यालय में चुनाव घोषणा पत्र ‘जन आवाज’ जारी करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने पर सभी बच्चों को आसानी से शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। उन्होेंने कहा कि कांग्रेसी सरकार शिक्षा का खर्च बढ़ाएगी और इस पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करेगी।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस 2023-24 तक समाप्त होने वाले पांच वर्षों में शिक्षा के लिये बजट आवंटन को दोगुना बढ़ाकर जीडीपी का छह प्रतिशत करने का वादा करती है। इसके लिये आगे की रूपरेखा 2019-20 के आम बजट में सामने रखी जायेगी और विशिष्ट वार्षिक लक्ष्य तय किए जाएंगे।
कांग्रेस का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार सभी बच्चों को शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिये जिम्मेदार होंगी। स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय जैसे ज्यादातर सार्वजनिक संस्थान सार्वजनिक संसाधनों के माध्यम से वित्त पोषित होंगे। निजी शिक्षण संस्थान सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों के पूरक के तौर पर काम कर सकते हैं।
स्कूली शिक्षा को संघ सूची की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची में स्थानांतरित किया जायेगा जबकि संघ सूची में उच्च शिक्षा के विषय को बरकरार रखा जाए। सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक की स्कूली शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त होगी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में इस संबंध में उपयुक्त संशोधन किए जाएंगे। मांग के आधार पर और राज्य सरकारों के सहयोग के साथ केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों की संख्या बढ़ायी जाएगी। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को बहाल की जाएगी।
कांग्रेस का मानना है कि देश में और अधिक विश्वविद्यालयों की जरुरत है। कांग्रेस देश में ज्यादा से ज्यादा सरकारी विश्वविद्यालयों की स्थापना, खास तौर पर पिछड़े इलाकों में करने का वादा करती है। अगले पांच वर्षों के दौरान उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को 25.8 के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर कम से कम 40 के स्तर तक लाया जाएगा।
एनईईटी परीक्षा का तरीका कुछ राज्यों के छात्रों के लिए भेदभावपूर्ण रहा है। इसके अलावा यह राज्य सरकार के संबंधित राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उस राज्य के मूल निवासी छात्रों के प्रवेश के अधिकार में हस्तक्षेप करती है, इसलिए एनईईटी परीक्षा की इस कमी को दूर करने के उपाय किए जाएंगे। उस राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित समकक्ष मानक की राज्य स्तरीय परीक्षा के साथ इसका विकल्प प्रदान किया जाएगा।