जयपुर। राजस्थान में गहलोत मंत्रिमंडल गठन में लोकसभा चुनाव की छाया रहेगी। अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री तथा सचिन पायलट ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली हैं तथा आज से ही मंत्रिमंडल के गठन को लेकर कयास शुरु हो गये हैं।
गहलोत के सामने विधानसभा चुनाव जीतकर आने वाले कद्दावर नेताओं को शामिल करने की भी एक चुनौती हैं क्योंकि मंत्रिमंडल में युवा चेहरों को लाने पर भी काफी दबाव रहने वाला हैं।
इसके अलावा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण भी मंत्रिमंडल बनाते समय ध्यान में रखने होंगे। यह भी हो सकता है कि शुरुआत में छोटा मंत्रिमंडल ही बनाया जाये ताकि लोकसभा चुनाव के बाद विस्तार में शामिल करने की आस में ज्यादात्तर विधायक पार्टी के लिए जोरशोर से काम कर सके।
लोकसभा चुनाव में समान विचारधारा वाली पार्टियों का साथ लेने की रणनीति के मद्देनजर बसपा आदि दलों के विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार के समय के बारे में अभी अधिकृत घोषणा नहीं की गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिर्फ इतना ही बताया कि पार्टी आलाकमान से बातचीत कर मंत्रिमंडल का गठन होगा।
पायलट के उपमुख्यमंत्री बनने से कांग्रेस में एक धड़ा यह मान रहा है कि मंत्रिमंडल गठन में किसी एक नेता की नहीं चलेगी और सबकी राय से नेताओं काे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले जिन विधायकों के नामों की चर्चा ज्यादा चल रही है उनमें पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, बीडी कल्ला, पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, दीपेन्द्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, राजेन्द्र पारीक, मास्टर भंवर लाल, विश्वेन्द्र सिंह, लालचंद कटारिया, महेश जोशी, प्रतापसिंह खाचरियावास, दयाराम परमार शामिल हैं।
इसके अलावा मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने की नीति के तहत अमीन खान, जाहिदा बेगम, शाले मोहम्मद को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता हैं।