Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पारित - Sabguru News
होम Breaking तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पारित

तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पारित

0
तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पारित

नई दिल्ली। तीन तलाक की प्रथा को गैर-कानूनी करार देने वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 विपक्ष के विरोध के बीच गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया।

विधेयक पर सदन में पांच घंटे चली चर्चा और विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद के चर्चा पर जवाब के बाद जब मंत्री ने विधेयक को विचार के लिए रखने का प्रस्ताव किया तो विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए मतविभाजन की मांग की। हालांकि 82 के मुकाबले 303 मतों से विधेयक को विचार के लिए स्वीकार कर लिया गया। विपक्ष के सभी संशोधन भी खारिज हो गए जिनमें कुछ पर मतदान विभाजन भी हुआ।

इस विधेयक में तीन तलाक को गैर-कानूनी घोषित किया गया है तथा तीन तलाक देने वालों को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। साथ ही जिस महिला को तीन तलाक दिया गया है उसके और उसके बच्चों के भरण-पोषण के लिए आरोपी को मासिक गुजारा भत्ता भी देना होगा। मौखिक, इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी माध्यम से तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक को इसमें गैर-कानूनी बनाया गया है।

यह विधेयक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा जो इस साल 21 फरवरी को प्रभाव में आया था। इस विधेयक को सदन में पेश करते समय 21 जून को भी मतविभाजन हुआ था जिसमें 186 सदस्यों ने इसे पेश करने के समर्थन में और 74 सदस्यों ने विरोध में मत दिया था।

प्रसाद ने चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष पर तीखे हमले किए और सफाई भी दी कि इस विधेयक में तीन तलाक देने का दोषी पाये जाने पर पति के लिए दंडात्मक प्रावधान कुप्रथा के अवरोध के रूप में किया गया है। ये प्रावधान हिन्दुओं में बाल विवाह पर रोक लगाने संबंधी 1955 के शारदा अधिनियम, 1961 के दहेज प्रथा उन्मूलन कानून, 1983 के भारतीय दंड विधान की धारा 498 के अनुरूप ही रखे गए हैं।

प्रसाद ने कहा कि हम 1955 के शारदा अधिनियम, 1961 के दहेज प्रथा उन्मूलन और 1983 के भारतीय दंड विधान की धारा 498 के लिए कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों का अभिनंदन करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि 1986 में शाहबानो का मामला आते ही उसके पांव क्याें हिलने लगते हैं। उन्होंने कहा कि 125 रुपए के गुजारा भत्ते के लिए कांग्रेस ने शाहबानो से लेकर सायराबानो तक की यात्रा कर ली है।

उन्होंने कहा कि 20 से अधिक देशों में तलाक-ए-बिद्दत पर रोक है जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, सीरिया, मलेशिया आदि देश शामिल हैं। जहां शरीया लागू है वहां भी बदलाव हो सकता है, तो हम तो धर्मनिरपेक्ष देश हैं; हम तो कर ही सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जिस प्रथा को पैगंबर माेहम्मद ने गलत माना, उसे देश के मुसलमानों को गलत मानने में क्यों ऐतराज है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपेक्षा थी कि सदन में बैठे मुस्लिम समाज के लोग अपनी जमात को समझाएंगे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।

प्रसाद ने कहा कि 2017 में उच्चतम न्यायालय द्वारा सायराबानो मामले में तलाक-ए-बिद्दत को गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद से अब तक 574 ऐसे मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि अध्यादेश आने के बाद ऐसे 101 मामले आए हैं। पीड़ित महिलाएं जब पुलिस के पास गईं तो पुलिस ने कहा कि उनके पास शक्तियां नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या हम इन खवातीनों को सड़क पर पड़े रहने के लिए छोड़ दें? मैं नरेन्द्र मोदी की सरकार का मंत्री हूं, राजीव गांधी की सरकार का नहीं।

प्रसाद ने कहा कि अगर कांंग्रेस ने 1986 में शाहबानो मामले में सही निर्णय लिया होता तो आज सरकार को यह विधेयक लाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने विपक्ष द्वारा इस विधेयक को आपराधिक श्रेणी में लाने के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हिन्दुओं की सामाजिक कुप्रथाओं जैसे बहुविवाह आदि के मामले में दंडात्मक प्रावधान वाले आपराधिक श्रेणी के कानून बनाए गए तो सबको अच्छा लगा। उन्होंने ईसाइयों एवं पारसियों के विवाह संबंधी कानूनी प्रावधानों को उद्धृत करते हुए कहा कि सभी मजहबों में गलत व्यवहार को अपराध मानकर दंडात्मक प्रावधान किए गए हैं। घरेलू हिंसा के कानून भी ऐसे ही बने हैं।

उन्होंने कहा कि हमने तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-अहसान को प्रतिबंधित नहीं किया है। तलाक की प्रक्रिया का अनुपालन नहीं करने को यह मुल्क बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि हमें इस (मुस्लिम) जमात का वोट नहीं मिलता है लेकिन हम जब भी जीतते हैं तो सबके साथ और सबके विश्वास के लिए काम करते हैं।

उन्होंने जलपाईगुड़ी के मुस्लिम चाय बगान कर्मी करीमुल हक को पद्मश्री दिए जाने और 1965 के युद्ध के शहीद अब्दुल हमीद की पत्नी का सम्मान किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार की सोच इनके सम्मान की सोच है और हमेशा रहेगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार सियासी नफा नुकसान और वोट के हिसाब के अनुसार अपनी सोच नहीं बदलेगी।

प्रसाद ने कहा कि पूरी चर्चा में कोई सार्थक सुझाव नहीं आया। केवल यही कहा गया कि तीन तलाक को आपराधिक श्रेणी से बाहर कर दिया जाए। लेकिन हम इसे अवरोधक के रूप में अवश्य रखेंगे क्योंकि जब हम इसे हिन्दुओं के लिए लाए तो इसका असर दिखा। उन्हाेंने कहा कि सभी पक्षकारों से मिलकर बात करने का सुझाव भी मिला। पर हमारे लिए पक्षकार मुस्लिम बेटियां हैं ना कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोग।

उन्होंने कहा कि अगर एक भी मुस्लिम नेता तीन तलाक के विरोध में कोई मुहिम चलाता तो उनसे सरकार जरूर बात करती। विपक्ष की ओर से तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक को आपराधिक श्रेणी में रखे जाने के विरोध में बहिर्गमन किया। इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी के सदस्य भी सदन से बाहर चले गए। जनता दल यूनाइटेड के सदस्यों ने भी बहिर्गमन किया।

जैसे ही विधेयक को मतदान के लिए रखा जाने लगा तो विपक्ष ने मतविभाजन की मांग की। इस पर मतविभाजन में 303 वोट पक्ष में और 82 विरोध में पड़े। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो सदस्यों ने मतविभाजन में अनुपस्थिति दर्ज कराई। बाद में विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।