एटा। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के मैनपुरी में दिए गए ‘कठिन फैसला’ वाले बयान पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि स्वार्थ की खातिर समाजवादी पार्टी और बसपा की दोस्ती का अंत 23 मई होना निश्चित है जब देश की सुरक्षा और स्वाभिमान के लिए मतदाता भारतीय जनता पार्टी नीति राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पूर्ण बहुमत की सरकार के पक्ष में फैसला सुनाएंगे।
मोदी ने यहां एक रामलीला मैदान में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हवा का रूख बताता है कि चुनाव का नतीजा तय हो चुका है। दिल्ली में बैठे लोग कहते है कोई लहर नजर नही आ रही। एसी कमरों में बैठकर जनता जनार्दन के मिजाज को पहचाना नहीं जा सकता है। पहले दो चरणो के मतदान के बाद जो मोदी को गाली देते थे। उनका चेहरा लटक गया है। यह चुनाव निहित स्वार्थ की खातिर देश को धर्म और जाति के नाम पर बांटने वालो और देश के विकास का सपना देखने वालाें के बीच है।
मोदी ने कहा कि सपा और बसपा के झंडे अलग है लेकिन नीयत एक जैसी है। सरकारें बदली लेकिन व्यापारी और किसानों को लूटने का काम एक जैसा होता था। बुआ (मायावती) और बबुआ (अखिलेश यादव) के शासनकाल में दलितों पर अत्याचार सबने देखा है। यह कौन करता था। उन्हें (मायावती) अपने कठिन फैसले की याद आ जाएगी।
उन्होंने कहा कि सपा शासन के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति देश में चर्चा का विषय बनी हुई थी। समाजवादी गुंडों ने गरीब मध्यम वर्ग की जमीन को कब्जाने का अभियान चलाया था। उसने कितनो का जीवन बेकार कर दिया है। सपा सरकार के शासनकाल में बेटियों का स्कूल जाना मुश्किल भरा होता था।
ऐसे ही लोगों को आपके बीच लाकर खड़ा कर दिया है और मायावती उनका समथर्न कर रही है। वाकई यह कठिन फैसला है। बहन बेटियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों के लिए सत्ता की खातिर बसपा प्रमुख को वोट मांगना पड़ रहा है। मै फिर कहूंगा कि आपका फैसला बहुत कठिन है।
मोदी ने कहा कि यूपी की जनता दुश्मन को दोस्त बनाने वालों के साथ कभी नहीं जा सकती बल्कि देश का गौरव बढाने वाली मजबूत सरकार के पक्ष में खडी है। खोखले वादे और खोखली दोस्ती करने वालों का इतिहास आप अच्छी तरह जानते हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी ऐसी ही एक दोस्ती हुई थी जो चुनाव खत्म होते ही दुश्मनी में बदल गई। इसी तरह इस गठबंधन के टूटने की तारीख भी तय है।
फर्जी दोस्ती टूटने का दिन 23 मई गुरूवार को निर्धारित किया गया है। उस दिन बुआ (मायावती) और बबुआ (अखिलेश यादव) भी अपनी दुश्मनी का पार्ट-2 शुरू कर देंगे। एक दूसरे को समाप्त करने की धमकियां देने लगेंगे। सिर्फ अपना हित सोचने वाले दलित वंचित गरीब का भला नहीं सोच सकते। इनके आसपास कितने गरीब हैं जिनको इन्होंने आगे बढाया है।