पटना। बिहार में इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुनामी में पप्पू यादव, डाॅ. शकील अहमद, दशई चौधरी, देवेन्द्र प्रसाद यादव और पुतुल कुमारी समेत की कई दिग्गज नेताओं की जमानत जब्त हो गई।
17वीं लोकसभा चुनाव (2019) में राजग के बैनर तले भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाईटेड और लोक जनशक्ति पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा। तालमेल के तहत भाजपा को 17, जदयू को 17 और लोजपा को छह सीटें मिली। भाजपा और लोजपा ने जहां अपने-अपने खाते की सभी सीटें जीतीं वहीं जदयू किशनगंज को छोड़ शेष सभी 16 सीटें जितने में कामयाब रही।
राजग की इस सुनामी में न सिर्फ महागठबंधन के नेताओं को हार का सामना करना पड़ा बल्कि कई दिग्गज नेताओं की जमानत भी जब्त हो गई। बिहार में इस बार कुल 626 उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में थे। मोदी की प्रचंड लहर में राजग ने 40 से से 39 सीटों पर कब्जा जमाया।
626 उम्मीदवारों में से 546 की जमानत जब्त हो गई। इनमें जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार, जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाॅ. शकील अहमद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री दशई चौधरी, पूर्व सांसद पतुल कुमारी, पूर्व सासंद अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव प्रमुख हैं।
बिहार की हाइप्रोफाइल सीट में शुमार मधेपुरा सीट से महागठबंधन की ओर से लोकतांत्रिक जनता दल के संरक्षक और पूर्व सांसद शरद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा वहीं जनता दल यूनाईटेड ने राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री और पूर्व सांसद दिनेश चंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया। दोनों नेताओं की जंग जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पिछले चुनाव में राजद के टिकट पर जीते राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से हुई।
इस सीट पर पूर्व सासंद दिनेश चंद्र यादव ने राजद प्रत्याशी शरद यादव को तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित कर दिया। मधेपुरा में कुल 1147274 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें दिनेश चंद्र यादव को 54.42 प्रतिशत मत मिले। जाप प्रत्याशी पप्पू यादव को मात्र 8.51 मत मिले और उनकी जमानत भी जब्त हो गई।
जहानाबाद संसदीय सीट से राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्यूलर) के अध्यक्ष अरुण कुमार चुनावी रणभूमि में उतरे। वर्ष 2014 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में शामिल अरुण कुमार ने राजद के सुरेन्द्र प्रसाद यादव को 42340 वोटों के अंतर से पराजित किया था।
रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से विवाद होने के बाद कुमार ने पार्टी से स्वयं को अलग कर लिया था और राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्यूलर) बना ली। वर्ष 2019 में कुमार की टक्कर एक बार फिर राजद प्रत्याशी सुरेन्द्र प्रसाद यादव और जदयू अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधान पार्षद चंदेश्वर प्रसाद से हुई।
जदयू प्रत्याशी ने कड़े मुकाबले में राजद के यादव को महज 1751 मतों के अंतर से पराजित किया। प्रसाद को कुल 822065 मतो में 40.82 प्रतिशत मत मिले जबकि अरुण कुमार महज 4.2 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा।
बक्सर संसदीय सीट से जविपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने चुनावी मैदान में ताल ठोका, जहां उनकी टक्कर भाजपा प्रत्याशी अश्विनी कुमार चौबे और (राजद) प्रत्याशी जगदानंद सिंह से हुई। चौबे ने राजद प्रत्याशी सिंह को 117609 मतों से हराया। चौबे को कुल 986861 मतों में से 47.94 प्रतिशत मत मिले जबकि जविपा प्रत्याशी अनिल महज 0.99 प्रतिशत मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई।
मधुबनी संसदीय सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा.शकील अहमद ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा, जहां उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार यादव और महागठबंधन के उम्मीदवार विकासशील इंसान पार्टी के बद्री कुमार पूर्वे से हुआ। यादव ने इस सीट पर पूर्वे को 454940 मतों के भारी अंतर से पराजित कर जीत हासिल की। यादव को कुल मत 963708 में से 61.83 प्रतिशत मत मिले। डाॅ. अहमद को 13.65 प्रतिशत जबकि पूर्वे को 14.62 प्रतिशत मत मिले और दोनों की जमानत जब्त हो गई।
झंझारपुर संसदीय सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव ने समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक के टिकट पर चुनाव लड़ा। यादव की टक्कर जदयू प्रत्याशी रामप्रीत मंडल और राजद प्रत्याशी एवं विधायक गुलाब यादव से हुई। मंडल ने राजद प्रत्याशी यादव को करीब तीन लाख 23 हजार के भारी अंतर से पराजित कर दिया। मंडल को कुल मत 1060562 में से 56.8 प्रतिशत मत मिले जबकि पूर्व केन्द्रीय मंत्री यादव को महज 2.42 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा।
हाजीपुर (सु) सीट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री दशई चौधरी चुनावी समर में उतरे। चौधरी की टक्कर लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस और राजद प्रत्याशी तथा पूर्व कला एवं संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम से हुई। पारस ने राम को 205449 मतों से हराया। पारस को कुल मत 1006817 में से 53.76 प्रतिशत मत मिले जबकि पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी को महज 0.48 प्रतिशत मत प्राप्त हुए।
बांका संसदीय सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी और पूर्व सासंद पुतुल कुमारी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। पुतुल कुमारी का मुकाबला जदयू उम्मीदवार गिरधारी यादव और राजद उम्मीदवार जय प्रकाश नारायण यादव से हुआ। जदयू के यादव ने राजद के जय प्रकाश नारायण यादव को 200532 मतों से पराजित किया। जदयू प्रत्याशी यादव को कुल मत 995806 में से 47.98 प्रतिशत मत मिले जबकि पूर्व सांसद और निर्दलीय प्रत्याशी पुतुल कुमारी को 10.42 प्रतिशत मत मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले और पूर्व सासंद अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव ने महाराजगंज संसदीय सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर ताल ठोकी। यादव का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और राजद प्रत्याशी रणधीर कुमार सिंह से हुआ। सिग्रीवाल ने राजद के रणधीर कुमार सिंह को 230772 मतो के अंतर से पराजित किया और उन्हें कुल मत 972703 में से 56.17 प्रतिशत मत मिले जबकि बसपा प्रत्याशी यादव ने 2.57 प्रतिशत मत हासलि कर अपनी जमानत भी गंवा दी।
बेगूसराय सीट पर पूरे देश की निगाहें टिकी थी। राजद के टिकट पर मोहम्मद तनवीर हसन चुनावी अखाड़े में उतरे, जहां उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी और केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उम्मीदवार तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार से हुआ। सिंह ने कुमार को 422217 मतों के अंतर से पराजित कर दिया। भाजपा प्रत्याशी सिंह को कुल मत 1225594 में से 56.48 प्रतिशत मत मिले जबकि राजद प्रत्याशी हसन को 16.17 प्रतिशत मत प्राप्त हुए और उनकी भी जमानत जब्त हो गई।
औरंगाबाद संसदीय सीट से स्वराज पार्टी लोकतांत्रिक के अध्यक्ष और पूर्व विधायक सोम प्रकाश चुनावी रणभूमि में उतरे थे। प्रकाश की टक्कर भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह और हिंदुस्तान आवा मोर्चा प्रत्याशी अशोक कुमार आजाद से हुई। भाजपा प्रत्याशी सिंह ने हम प्रत्याशी को 72607 मतों से पराजित कर दिया। भाजपा प्रत्याशी सिंह को कुल मत 941595 में 45.83 प्रतिशत मत मिले जबकि पूर्व विधायक सोम प्रकाश को मात्र 1.25 प्रतिशत मत प्राप्त हुए और उनकी भी जमानत जब्त हो गई।
गौरतलब है कि किसी भी चुनाव में प्रत्याशी को पर्चा भरते समय जमानत के तौर पर एक निश्चित रकम चुनाव आयोग में जमा करनी होती है। इसी राशि को चुनावी जमानत राशि कहते हैं। यह राशि कुछ मामलों में वापस दे दी जाती है अन्यथा आयोग इसे अपने पास रख लेता है।
जब कोई प्रत्याशी किसी भी चुनाव क्षेत्र में पड़े कुल वैध वोट का छठा हिस्सा हासिल नहीं कर पाता है तो उसकी जमानत राशि जब्त मानी जाती है और नामांकन के दौरान दी गई राशि उन्हें वापस नहीं मिलती है। जैसे यदि किसी सीट पर एक लाख लोगों ने वोट दिया है और उम्मीदवार को 16666 से कम वोट हासिल हुए हैं तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी।