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तेज धूप में नहाने से भगवान जगन्नाथ स्वामी को लगी लू, पढिए फिर क्या हुआ?
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तेज धूप में नहाने से भगवान जगन्नाथ स्वामी को लगी लू, पढिए फिर क्या हुआ?

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तेज धूप में नहाने से भगवान जगन्नाथ स्वामी को लगी लू, पढिए फिर क्या हुआ?
Lord Jagannath Swami Rath Yatra Festival begins in panna
Lord Jagannath Swami Rath Yatra Festival begins in panna
Lord Jagannath Swami Rath Yatra Festival begins in panna

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना में चिलचिलाती धूप में पवित्र तीर्थों के सुगंधित जल से स्नान करने के कारण भगवान जगन्नाथ स्वामी लू लगने से आज बीमार पड़ गये हैं। भगवान के ज्वर पीड़ित होने का यह धार्मिक आयोजन स्नान यात्रा के रूप में श्रीजगन्नाथ स्वामी मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं के बीच सम्पन्न हुआ। भगवान के बीमार पड़ने के साथ ही रथयात्रा महोत्सव का शुभारंभ हो गया है।

डेढ़ शताब्दी से भी अधिक पुरानी हो चुकी पन्ना के रथयात्रा महोत्सव की आज परम्परागत हर्षोल्लास के बीच भगवान जगदीश स्वामी के स्नान यात्रा के साथ शुरुआत हो गई। राजशाही जमाने से चली आ रही परम्परा के अनुसार गुरुवार सुबह 9 बजे बड़ा दीवाला स्थित जगदीश स्वामी मंदिर में भगवान की स्नान यात्रा का कार्यक्रम हुआ।

पन्ना के पूर्व राज परिवार के सदस्यों सहित मंदिर के पुजारियों तथा भक्तजनों ने गर्भगृह में विराजमान भगवान जगदीश स्वामी उनके बड़े भाई बलभद्र, बहन देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को आसन में बैठाकर मंदिर प्रांगण स्थित लघु मंदिर में बारी-बारी से लाकर विराजमान कराया। भगवान की स्नान यात्रा में पहुंचने पर बैण्डबाजों के साथ आतिशबाजी करते हुए स्वागत किया गया। जिसके पश्चात् भगवान की स्नान यात्रा जयकारों के बीच शुरू हुई।

मंदिर के पुजारियों ने वेद मंत्रों के साथ भगवान की पूजा अर्चना की और हजार छिद्र वाले मिट्टी के घड़े से भगवान को स्नान कराया गया। स्नान के साथ ही मान्यता के अनुसार भगवान लू लग जाने की वजह से बीमार पड़ गये। उन्हें सफेद पोशाक पहनाई गई और उनकी भव्य आरती की गई।

भगवान के स्नान यात्रा के बाद चली आ रही परम्परा के अनुसार मिट्टी के घट श्रद्धालुओं को लुटाए गए। जिन लोगों को घट प्राप्त हो गए वे खुशी के साथ सुरक्षित तरीके से अपने घर ले गए। वे वर्षभर खुशहाली की कामना के साथ इस घट को अपने घर के पूजा स्थल में रखकर उसकी पूजा करेंगे।

घट लुटाने के कार्यक्रम के बाद बीमार पड़े भगवान को फिर से बारी-बारी करके आसन में बैठाते हुए मंदिर के गर्भगृह के अंदर ले जाकर विराजमान कराया गया और मंदिर के पट 15 दिन तक के लिए बंद हो गए। भगवान के बीमार हो जाने के बाद अब श्रद्धालुओं को 15 दिन तक उनके दर्शन प्राप्त नहीं होंगे। मंदिर के पुजारी ही मंदिर के अंदर प्रवेश कर बीमार पड़े भगवान की पूजा अर्चना करेंगे। बीमार पड़े भगवान 15 दिन तक सफेद वस्त्रों में ही रहेंगे।

अमावस्या के दिन भगवान को पथ प्रसाद लगेगा और इसके बाद अगले दिन भगवान की धूप कपूर झांकी के रूप में जाली लगे पर्दे से श्रद्धालुओं को दर्शन प्राप्त होंगे। दूज तिथि से भगवान की रथयात्रा शुरू हो जाएगी।