पुरी। ओडिशा की धार्मिक नगरी पुरी में विश्वप्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा वैश्विक महामारी कोरोना के साये में जनता-जर्नादन की अहम सुरक्षा के दृष्टिगत प्रतिबंधाें और श्रद्धालुओं की गैरमौजूदगी के बीच मंगलवार को यहां शुरू हुई।
मुख्य मंदिर परिसर से आगे ग्रैंड रोड पर तीन किलोमीटर तक सड़क के दोनों किनारों और घरों की छतों के कोने-काेने पर खड़े होकर भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की एक झलक पाने को बेताब श्रद्धालुओं की भीड़ का गवाह रहने वाला पुरी शहर इस बार सुनसान नजर आया।
कोराेना की महामारी के मद्देनजर देश की शीर्ष अदालत ने पुरी में श्रद्धालुओं और बाहरी आगंतुकों पर प्रतिबंध तथा कुछ अन्य शर्तों के साथ रथयात्रा की मंजूरी दी है। न्यायालय ने कहा कि रथ को केवल 500 वैसे सेवायत या पुलिसकर्मी खींचेंगे, जो कोरोना निगेटिव होंगे। न्यायालय ने रथयात्रा के 10 से 12 दिन के आयोजनों के दौरान किसी पुरी में दाखिल होने वाले सभी रास्ते, अर्थात् हवाईअड्डे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड आदि बंद रखने का आदेश दिया है।
भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को दैनिक अनुष्ठान गोपाल भोग (नाश्ता) अर्पित करने के बाद उन्हें गर्भगृह निकाला गया। ‘हरि बोल’ एवं ‘जय जगन्नाथ’ के उदघोष तथा शंख ध्वनियों के साथ मंदिर के पुजारियों ने तीनों को कंधे पर उठाया और मंदिर के सिंह द्वार पर सुसज्जित अलग-अलग रथों पर उन्हें आसन ग्रहण कराया गया।
इससे पहले स्थानीय प्रशासन ने बुधवार को पुरी में बस एवं ट्रेन सेवाएं बंद करवा दी। पुलिस बल के 75 प्लाटून तैनात करने के साथ ही शहर के सभी प्रवेश वाले रास्तों को सील कर दिया। दूरदर्शन और अन्य स्थानीय टेलीविजन चैनलों ने रथयात्रा का लाइव प्रसारण किया, ताकि देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की झलक पा सकें।