जयपुर | फोर्टिफिकेशन जहां एक तरफ भोजन में महत्वपूर्ण तत्वों को जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, वहीं अभी कई उत्पाद ऐसे हैं जो सूक्ष्म पोषक तत्वों से रहित हैं। भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे विटामिन ए, आयरन, आयोडीन, फोलिक एसिड और जिंक की कमी से शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है। दुनियाभर में छःरू महीने से पांच साल के बच्चे एक या उससे ज्यादा सुक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से पीड़ित हैं।
दूध उन मूल खाद्य पदार्थों में से एक है, जिन्हें आसानी से फोर्टिफाइड किया जा सकता है, क्योंकि यह भी मुख्य भोजन के रूप में माना जाता है। दूध में फोर्टिफिकेशन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, लोटस डेयरी ने आई. आई. एच. एम. आर. यूनिवर्सिटी के साथ मिल कर मिल्क फोर्टिफिकेशन पर प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया।
सत्र के दौरान, आई. आई. एच. एम. आर. के परियोजना प्रमुखों ने दूध में फोर्टिफिकेशन के लाभों के साथ-साथ यह भी बताया कि इससे उपभोक्ताओं को कैसे लाभान्वित किया जा सकता है। इस दौरान फोर्टिफाइड मिल्क के लिए वैधानिक अनुपालन की जानकारी भी दी गई।
लोटस डेयरी के निदेशक श्री अनुज मोदी के अनुसार, ’कुपोषण की समस्या दुनिया भर में मौजूद है और दुनियाभर में दो बिलियन लोग इससे प्रभावित है। महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों के अपर्याप्त सेवन का हमारे उपभोक्ताओं और उनके परिवारों की आर्थिक, सामाजिक, और भौतिक भलाई पर लंबे समय तक स्थायी और हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, समाज में पोषण को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के साथ, लोटस डेयरी ने अपने मौजूदा डेयरी उत्पादों में सूक्ष्म पोषक पूरकता को जोड़ने का प्रयास किया है।
वर्तमान में राजस्थान में 60.3 फीसदी बच्चे, 46.8 फीसदी महिलाएं और 17.2 फीसदी पुरुष एनीमिक हैं। लोटस डेयरी राजस्थान की एक ऐसी डेयरी है, जो सरकारी क्षेत्र के डेयरी संयंत्रों के लिए एक विकल्प विकसित करने की एक दृष्टि के साथ काम करती है, जहां दूध की प्रसंस्करण प्रक्रिया स्वचालन से नियंत्रित की जाती है। अत्याधुनिक उत्पाद में उच्च उत्पाद गुणवत्ता / विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कार्यों को एकीकृत रूप से पूरी तरह से स्वचालित प्रक्रिया से संपन्न किया जाता है।
आई. आई. एच. एम. आर. यूनिवर्सिटी देश की एक प्रमुख नॉलेज इंस्टीट्यूट है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य और अस्पताल प्रशासन, फार्मास्युटिकल प्रबंधन और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान और प्रशिक्षण में जुटा हुआ है। आई. आई. एच. एम. आर., छोटे बच्चों में पोषण की समस्या पर फोकस करते हुए इसके समाधान की बात उठाता है। भारत में पोषण से सबंधित समस्या, एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, ऐसे में विश्वविद्यालय जागरूकता पैदा करने के लिए फोर्टिफिकेशन ट्रेनिंग के सेशन आयोजित करता है।