लखनऊ। आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के खिलाफ बलात्कार के मुकदमे को फर्जी करार देते हुए लखनऊ की एक अदालत ने आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
गाजियाबाद की एक महिला ने 11 जुलाई 2015 को गोमतीनगर थाने में ठाकुर पर बलात्कार किये जाने का मामला दर्ज कराया था। एससी एसटी एक्ट की विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई और साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा को फर्जी करार दिया, साथ ही फर्जी मुकदमा लिखवाने के अपराध में उस महिला के खिलाफ मुकदमा चलाने के भी आदेश दिए हैं।
विशेष न्यायाधीश पद्माकर मणि त्रिपाठी ने अपने आदेश में कहा कि विवेचक ने न्यायालय को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विवेचना से वादिनी के बयानों में विरोधाभाष, उपनिरीक्षक राम राज कुशवाहा की जाँच, तथा मोबाइल लोकेशन के आधार पर आरोप फर्जी पाए गए। इस सम्बन्ध में वादिनी ने अपना प्रोटेस्ट प्रार्थनापत्र प्रस्तुत कर अमिताभ के वरिष्ठ आईपीएस होने के कारण उनके प्रभाव में सही विवेचना नहीं होने की बात कही थी।
न्यायालय ने कहा कि वादिनी के बयानों में भारी विरोधाभाष, उनके कथनों की असत्यता, सीडीआर में मोबाइल फोन की लोकेशन आदि के आधार पर अंतिम रिपोर्ट स्वीकार की जाती है। यह संभव नहीं है कि कोई महिला अपने घर में किसी अन्य महिला को बुला कर अपने पति से रेप करवाए।
गौरतलब है कि 11 जुलाई 2015 को सपा सरंक्षक मुलायम सिंह द्वारा अमिताभ को फोन से धमकी देने की शिकायत देने वाली रात को यह मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमे विवेचक ने 20 मार्च 2017 को अंतिम रिपोर्ट दी थी।