वाराणसी। खंडग्रास चंद्रग्रहण के कारण उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी के ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट पर रोजाना शाम को होने वाली विश्व प्रसिद्ध मां गंगा आरती मंगलवार को दिन में आयोजित की गई।
आरती बुधवार रात एक बजकर 31 मिनट पर चंद्रग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले अपराह्न तीन बजे से चार बजे के दौरान आयोजित की गई।
आरती आयोजन करने वाली संस्था गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र एवं गंगोत्री सेवा समिति के अध्यक्ष बाबू महाराज ने यहां बताया कि चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू होने की पौराणिक मान्यता है।
इस दौरान आरती करना शुभ नहीं माना जाता है। यही वजह है कि शाम छह बजे के बजाये मंगलवार अपराह्न तीन बजे से चार बजे के दौरान मां गंगा की आरती विधिविधान के साथ की गई। आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
मिश्र ने बताया कि दशाश्वमेध घाट पर संस्था द्वारा पिछले 28 सालों से आयोजित शाम की गंगा आरती दिन में आयोजित की गई। इससे पहले गत वर्ष 27 जुलाई और 2017 में आठ अगस्त को दिन में गंगा आरती आयोजित की गई थी।
उन्होंने बताया कि सूतक काल शुरू होने के साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को छोड़कर संकट मोचन हनुमान मंदिर समेत अधिकांश मंदिरों के कपाट अपराह्न करीब साढ़े चार बजे और इससे पहले बंद कर दिए गए। मंदिरों के कपाट बुधवार तड़के साढ़े चार बजे के बाद ही खुलेंगे और तब श्रद्धालु देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन कर सकेंगे।
चंद्रग्रहण का समय बुधवार रात एक बजकर 31 मिनट से तड़के साढ़े चार बजे तक रहेगा। इसके बाद मंदिरों में आरती आयोजित की जाएगी और इसके साथ श्रद्धालु दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू होगा।