भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालयन ने आज कहा कि भारतीय जनता पार्टी विधायक शरद कौल का विधायक पद से त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया गया है।
कौल ब्योहारी (अजजा) से विधायक हैं। सियासी उठापटक के बीच आज सुबह खबर आई कि उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन बाद में बताया गया कि कौल का त्यागपत्र लगभग दस दिन पहले आया था।
इस बीच कौल ने 16 मार्च को एक पत्र विधानसभा अध्यक्ष को संबोधित करते हुए लिखा। इसमें लिखा कि उन्होंने विधानसभा से त्यागपत्र नहीं दिया है। कौल ने कहा कि पूर्व में दबाव डालकर एवं उनकी इच्छा के विपरीत एक इस्तीफे पर हस्ताक्षर करा लिए गए थे और वह आपको (अध्यक्ष को) दे दिया गया था। इस इस्तीफे पर पर यह पत्र लिखने की दिनांक 16 मार्च तक कोई निर्णय नहीं हुआ है, इसलिए दबाव डालकर लिखवाए गए इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया जाए।
इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कौल का त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया है। दरअसल कौल राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कथित तौर पर कांग्रेस के संपर्क में बताए जा रहे थे। कौल और एक अन्य भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी एक अवसर पर विधानसभा में भाजपा में होने के बावजूद कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर चुके थे। त्रिपाठी तो पिछले पखवाड़े के दौरान कम से कम आधा दर्जन बार मुख्यमंत्री निवास पहुंचे और उनके प्रति समर्थन भी जताया था।
लेकिन आज त्रिपाठी एक बार फिर पाला बदलते हुए दिखे और वे पूर्व गृह मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह के निवास पर पहुंचे। उन्होंने भाजपा के प्रति निष्ठा जाहिर की और नेताओं के अलावा मीडिया के समक्ष कहा कि वे भाजपा में थे, हैं और रहेंगे। त्रिपाठी पहले समाजवादी पार्टी में भी रह चुके हैं और वर्तमान में वे मैहर से विधायक हैं और विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुने गए थे।