भोपाल। मध्यप्रदेश के खंडवा संसदीय और रैगांव, पृथ्वीपुर तथा जोबट विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने के बाद अब सबकी निगाहें दो नवंबर को इन सीटों के लिए होने वाली मतगणना पर टिकी हुई हैं।
इन चुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। खंडवा में 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना परचम लहराया था, तो 2018 के विधानसभा चुनाव में पृथ्वीपुर और जोबट (अजजा) में कांग्रेस प्रत्याशी तथा रैगांव (अजा) सीट पर भाजपा प्रत्याशी विजयी हुए थे।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार उपचुनाव के नतीजों से केंद्र और राज्य में सत्तारुढ़ भाजपा सरकारों के भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, लेकिन ये भविष्य की राजनीति, मतदाता द्वारा सरकार या किसी दल विशेष को संदेश के रूप में अवश्य देखे जा सकते हैं।
भाजपा जहां अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए चारों सीटाें पर जीत के लिए पूरा जोर लगाती हुई नजर आई तो कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों ने अपना पूरा दम खम दिखाया। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी लगातार संबंधित क्षेत्रों से फीडबैक लेकर आवश्यक निर्देश देते हुए दिखायी दिए। वहीं मुख्यमंत्री ने लगभग एक माह के दौरान तीन दर्जन से अधिक चुनावी सभाओं को संबोधित किया।
पर्यवेक्षकों के अनुसार इन स्थितियों के बीच खंडवा संसदीय उपचुनाव में ढाई वर्ष पहले आम चुनाव में 76़ 90 प्रतिशत मतदान की तुलना में उपचुनाव में लगभग 13 प्रतिशत कम यानी 63़ 88 फीसदी मतदान के मायने राजनैतिक पंडित निकालने में जुट गए हैं।
यहां से आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नंदकुमार सिंह चौहान तकरीबन 02 लाख 73 हजार मतों से विजयी हुए थे। पर्यवेक्षक कम मतदान को मतदाताओं की कथित नाराजगी और उदासीनता से जोड़कर भी देख रहे हैं।
खंडवा से यूनीवार्ता के अनुसार इस लोकसभा क्षेत्र में मतदान विधानसभा क्षेत्रवार देखें, तो सर्वाधिक मतदान बागली में 67.74 प्रतिशत रहा, जबकि खंडवा विधानसभा क्षेत्र में यह 54.39 प्रतिशत ही रहा। मान्धाता में 63.74, पंधाना में 67.12, नेपानगर में 69.72 , बुरहानपुर में 64.34 भीकनगांव में 64 प्रतिशत और बड़वाह में 60.1 प्रतिशत ही मतदान हुआ। अमूमन शहरी क्षेत्र खंडवा बुरहानपुर और बड़वाह में ज्यादा उदासीनता दिखी, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से स्थिति ठीक थी।
खंडवा में पिछले चुनावों संबंधी मतदान की स्थिति पर नजर दौड़ायी जाए, तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान 76. 90 प्रतिशत था, वहीं इसके पहले 2014 में यह 71.48 प्रतिशत था। ये दोनों ही चुनाव भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान ने जीते थे। वर्ष 2019 में वे जहां 2 लाख 73 हजार 303 मतों से विजयी हुए थे, तो 2014 में यह अंतर 2 लाख 59 हजार 714 था।
जबकि 2009 में यहां मतदान गिरकर 60.01 प्रतिशत पर सिमट गया था, तब यहां से कांग्रेस के अरुण यादव ने श्री चौहान को 49 हजार 801 मतों से परास्त किया था। हालाँकि मतदान के घटते-बढते आंकड़ों से कोई अनुमान लगा पाना अब भी संभव नहीं है। फिर भी यह समझा जाता है कि खंडवा, जो बीते तीन दशकों से भाजपा के गढ़ में तब्दील हो गया है, वहां मतदान का कम होना प्रत्याशियों की जय पराजय के अंतर को प्रभावित कर सकता है।
खंडवा जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों के दो गांवों में मतदाताओं ने अपनी स्थानीय समस्याओं को लेकर मतदान का बहिष्कार किया। पंधाना विधानसभा क्षेत्र के फतेहपुर गांव के लोग अपने यहाँ सड़क की समस्या से परेशान थे, वहीं उनके गांव में मतदान केंद्र नहीं बनना भी उनकी नाराज़गी की वज़ह थी।
इसी तरह मान्धाता विधानसभा क्षेत्र के ग्राम नांदिया रैयत में भी सड़क के साथ ही राशन की दुकान और वहां कब्रिस्तान की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। बड़वाह विधानसभा क्षेत्र के खनगांव में लोगों ने बांकुड नदी पर पुल बनाने की बरसों पुरानी मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया।
अब राज्य के पश्चिमी अंचल में गुजरात की सीमा से सटे अलीराजपुर जिले की आदिवासी बहुल जोबट सीट पर मतदान की स्थिति पर नजर डाली जाए, तो दिखायी देता है कि उपचुनाव में मतदान 53़ 30 फीसदी रहा, जो लगभग तीन वर्ष पहले हुए विधानसभा चुनाव के 52़ 84 प्रतिशत की तुलना में कुछ अधिक है।
अलीराजपुर से यूएनआई के अनुसार इस सीट पर हालाकि मतदान का प्रतिशत पहले भी बहुत अधिक नहीं रहा है। इस क्षेत्र में कांग्रेस के महेश पटेल और भाजपा की सुलोचना रावत में कांटे की टक्कर दिखायी दी और मतदान से भी यह अनुमान लगाया जा रहा है।
बुंदेलखंड अंचल के पृथ्वीपुर विधानसभा उपचुनाव में मतदान प्रतिशत 78़ 14 प्रतिशत रहा, हालाकि यह भी पिछले विधानसभा चुनाव में 79़ 61 प्रतिशत की तुलना में लगभग डेढ़ प्रतिशत कम है। लेकिन मौजूदा चारों उपचुनावों में यह प्रतिशत सबसे अधिक है। यहां पर कल मतदान के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ने एक दूसरे पर मतदाताओं को भय और प्रलोभन के जरिए प्रभावित करने के आरोप भी लगाए थे।
यहां पर कांग्रेस के पूर्व दिवंगत मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के पुत्र नितेंद्र राठौर और कभी समाजवादी पार्टी में रहे डॉ शिशुपाल सिंह यादव (वर्तमान भाजपा प्रत्याशी) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीनने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी है।
विंध्य अंचल की अनुसूचित जाति बहुल सतना जिले की रैगांव सीट पर विधानसभा चुनाव में 74़ 53 प्रतिशत मतदान की तुलना में उपचुनाव में 69़ 01 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो लगभग 05 प्रतिशत कम रहा। जातिगत समीकरणों के लिए जाने वाले इस अंचल में कम मतदान के भी मायने निकाले जा रहे हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि अब इस सीट पर भी कांटे की टक्कर नजर आ रही है और हार जीत का अंतर ज्यादा नहीं रहने की संभावना है।
इन स्थितियों के बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने यूनीवार्ता से चर्चा में दावा किया कि उनकी पार्टी चारों सीटों पर शानदार विजय दर्ज कराएगी। उन्होेंने कहा कि मतदाताओं ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों के काम के आधार पर मत दिया है। उन्होंने कहा कि पृथ्वीपुर शुरूआत में भाजपा के लिए ‘टफ’ बतायी जा रही थी, लेकिन हम वहां भी जीत दर्ज कराने में कामयाब होंगे।
उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने यूनीवार्ता से चर्चा में कहा कि चारों उपचुनाव में कांग्रेस जीत दर्ज कराएगी। उन्होंने कहा कि मतदाता महंगायी, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से उदास हैं और वोटिंग के जरिए उन्होंने यह प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के ‘विकास के खोखले दावों’ और ‘सिर्फ घोषणाओं’ का जवाब भी उपचुनाव में जनता सरकार को देगी। बहरहाल 2 नवंबर को मतों की गिनती के दौरान दोपहर तक नतीजों को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ हो जाएगी।