भोपाल। मध्यप्रदेश में अपने पद से त्यागपत्र दे चुके सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के 16 बागी विधायकों ने आज विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके त्यागपत्र स्वीकार करने का अनुरोध किया है।
पिछले कई दिनों से बेगलूरु में डेरा डाले इन विधायकों ने अध्यक्ष को संबोधित पत्र में कहा है कि वे राज्य में ‘खराब कानून व्यवस्था एवं अनिश्चितता के वातावरण’ के कारण स्वयं प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर उनसे (अध्यक्ष से) मिल नहीं पा रहे हैं। इसके मद्देनजर विधायकों ने अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि उन्होंने जिस तरह से कल छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए हैं, उसी तरह उनके भी त्यागपत्र स्वीकार किए जाएं।
इन विधायकों में जसपाल सिंह जज्जी, बृजेंद्र सिंह यादव, रणवीर सिंह जाटव, कमलेश जाटव, गिर्राज दंडोतिया, मनोज चौधरी, ओपीएस भदोरिया, रक्षा संतराम सरौनिया, सुरेश धाकड़, राज्यवर्धन सिंह, बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, जसवंत सिंह जाटव, मुन्नालाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना और ऐदल सिंह कंसाना शामिल हैं। इन विधायकों के ये पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुए हैं।
इन विधायकों के त्यागपत्र दस मार्च को भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष को सौंपे थे। इस तरह के विधायकों की संख्या 22 थी, जिनमें से कल छह के त्यागपत्र अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिए हैं। इन विधायकों में से अधिकांश श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक हैं और सिंधिया हाल ही में भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वे प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशी भी हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने इस विधायकों को बेगलूरु में बंधक बनाकर रखा हुआ है और उनसे किसी प्रकार का संपर्क भी नहीं होने दिया जा रहा है।
बंधक विधायक ले सकते हैं सीआरपीएफ की सुरक्षा: बच्चन
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन ने आज कहा कि बेंगलूर में भारतीय जनता पार्टी द्वारा बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों को अगर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की सुरक्षा चाहिए तो मध्यप्रदेश सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि मध्यप्रदेश पुलिस उन्हें सुरक्षा देने में पूरी तरह सक्षम है।
गृह मंत्री बच्चन ने कहा कि बार-बार मीडिया के माध्यम से यह बात सामने आ रही है कि भाजपा द्वारा बेगलूरु में बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों द्वारा सीआरपीएफ की सुरक्षा मिलने पर ही भोपाल आने की बात कही जा रही है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश पुलिस सुरक्षा देने में पूरी तरह सक्षम है। फिर भी अगर बंधक बनाए गए विधायकों को यह महसूस होता है कि और मजबूत सुरक्षा चाहिए तो वे सीआरपीएफ की सुरक्षा ले सकते हैं।