भोपाल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने आज फिर मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर मंगलवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा है।
टंडन ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में माना जाएगा कि वास्तव में आपको (कमलनाथ को) विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है। राज्यपाल टंडन ने मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र की शुरूआत में लिखा है कि मेरे पत्र दिनांक 14 मार्च 2020 का उत्तर आपसे प्राप्त हुआ है, धन्यवाद, मुझे खेद है कि पत्र का भाव/भाषा संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है।
टंडन ने लिखा है कि मैंने अपने 14 मार्च के पत्र में आपसे विधानसभा में 16 मार्च को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए निवेदन किया था। आज विधानसभा का सत्र प्रारंभ हुआ, मैंने अपना अभिभाषण पढ़ा, लेकिन आपके द्वारा सदन का विश्वास मत प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ नहीं की और इस संबंध में कोई सार्थक प्रयास भी नहीं किया गया और सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित हो गई।
टंडन ने कहा है कि आपने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय का जिक्र किया है, वह वर्तमान परिस्थितियों और तथ्यों में लागू नहीं होता है। जब यह प्रश्न उठे कि किसी सरकार को सदन का विश्वास प्राप्त है या नहीं। तक ऐसी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने अनेक निर्णयों में निर्विवाद रूप से स्थापित किया गया है कि इस प्रश्न का उत्तर अंतिम रूप से सदन में फ्लोर टेस्ट के माध्यम से ही हो सकता है।
राज्यपाल ने लिखा है कि यह खेद की बात है कि आपने मेरे द्वारा आपको दी गई समयावधि में अपना बहुमत सिद्ध करने के बजाय, यह पत्र लिखकर विश्वास मत प्राप्त करने एवं विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने में अपनी असमर्थता व्यक्त की है, आनाकानी की है। जिसका कोई भी औचित्य एवं आधार नहीं है। आपने अपने पत्र में फ्लोर टेस्ट नहीं कराने के जो कारण दिए हैं, वे आधारहीन एवं अर्थहीन है।
उन्होंने लिखा है कि अत: मेरा आपसे पुन: निवेदन है कि आप संवैधानिक एवं लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए कल दिनांक 17 मार्च तक मध्यप्रदश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाएं तथा अपना बहुमत सिद्ध करें। अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है।
दरअसल राज्यपाल के पूर्व के पत्र के बीच आज कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखा है। इसमें मुख्य रूप से कहा गया है कि राज्यपाल जिस बात की अपेक्षा उनसे (मुख्यमंत्री से) कर रहे हैं, वह अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र का मामला है।