इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने एक दुष्कर्म के आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी है कि वहां मामलें में पीड़िता के साथ आगामी दो माह में विवाह कर अदालत को अवगत कराए अन्यथा अदालत के द्वारा आरोपी को दी गई जमानत स्वतः निरस्त मानी जाएगी।
शासकीय अधिवक्ता सुधांशु व्यास ने बताया कि न्यायमूर्ति एसके अवस्थी के द्वारा बीती 2 सितंबर को सुनाए गए इस जमानत याचिका के फैसले की प्रमाणित प्रति आज जारी की गई है। व्यास ने मामले की जानकरी देते हुए बताया कि वर्ष 2017 से 2019 के मध्य लगभग दो वर्षों तक आरोपी युवक पीड़िता के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा था।
व्यास के अनुसार आरोप है कि इस बीच युवक ने पडिता को शादी का प्रलोभन देकर अनैतिक संबंध बनाए। इस बीच पहले से ही विवाहित पीड़िता ने युवक के बहकावे में आकर अपने पहले पति को जनवरी 2020 में तलाक दे दिया।
तलाक के बाद अपने पति से अलग हो चुकी पीड़िता को धोखा देते हुए आरोपी युवक ने पीड़िता से विवाह करने से इंकार कर दिया। फलस्वरूप पीड़िता ने युवक के विरुद्ध 1989 दुष्कर्म, अनुसूचित जाति जनजाति निवारण अधिनियम के विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कराया था।
शासकीय अधिवक्ता के अनुसार पीड़िता के द्वारा दर्ज कराये गए प्रकरण पर पुलिस ने आरोपी युवक को बीती 12 फरवरी 2020 को गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान न्यायिक अभिरक्षा में रहते आरोपी युवक की इससे पहले अपर जिला सत्र न्यायालय देवास के द्वारा जमानत आवेदन याचिका खरिज कर दी गई थी।
जिसके बाद आरोपी ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष पीड़िता तथा स्वयं का एक शपथ पत्र प्रस्तुत कर जमानत का लाभ दिए जाने की प्रार्थना की थी। विवाह करने की शर्त पर पीड़िता को जमानत दिए जाने पर कोई आपत्ति न होने के चलते अदालत ने आरोपी को जमानत दिए जाने के आदेश जारी कर दिए है।
अदालत ने आरोपी युवक को 50 हजार रूपए की जमानत राशि पर सशर्ते जमानत देते हुये कहा कि आगामी दो माह में पीड़िता से विवाह कर, विवाह किये जाने के प्रमाण अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें। विवाह के प्रमाण प्रस्तुत नहीं करने पर युवक का जमानती आदेश स्वतः ही निरस्त हो जाएगा।