इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ की युगलपीठ ने आज बहुचर्चित ‘हनीट्रैप’ मामले में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते आयकर विभाग को प्रकरण के दस्तावेजी साक्ष्यों, इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों का अवलोकन करने के निर्देश दिए है।
युगलपीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेन्द्र शुक्ला ने आज हनीट्रैप प्रकरण की जांच को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं की सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने याचिकाओं में बतौर ‘इंटरवीनर’ शामिल हुए आयकर विभाग की प्रार्थना को स्वीकार करते हुये निर्देशित किया कि वहां प्रकरण की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के कार्यालय में जाकर दर्ज साक्ष्यों का अवलोकन कर सकता है।
इससे पहले अदालत के समक्ष आज विशेष जांच दल ने दो बंद लिफाफे में ‘हनीट्रैप’ प्रकरण की जांच प्रगति रिपोर्ट और अब प्रकरण में सामने आए लोगों के नाम संबंधित सूची सौंपी है। अदालत ने याचिकाओं की आगामी सुनवाई एक अप्रैल निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है इंदौर की पलासिया पुलिस ने बीती 17 सितंबर को इंदौर नगर निगम में पदस्थ एक तत्कालीन अधिकारी की शिकायत पर एक प्रकरण दर्ज किया था। मामलें में निगम अधिकारी ने उसे हनीट्रैप कर (अंतरंग पलो की वीडियो बनाकर) ब्लेकमैल करने के आरोप लगाए थे। इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच कर रही एसआईटी की कार्यप्रणाली को चुनौती देते हुए यहां दो जनहित याचिकाएं दायर की गई है। जिसमें मुख्यता प्रकरण की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की मांग की गई है।
इन्हीं याचिकाओं में इंटरविन कर आयकर विभाग ने भी हनीट्रैप मामले में आयकर अपवंचन की संभावनाओं के चलते पृथक से जांच जारी रहने से अदालत को अवगत कराया था। आयकर ने अदालत से प्रार्थना की थी कि उसे एसआईटी द्वारा दर्ज साक्ष्यों का अवलोकन करना का अधिकार दिया जाए। आयकर ने एसआईटी पर सहयोग न करने का आरोप लगाया था। अदालत ने आज आयकर विभाग को राहत देते हुए एसआईटी को साक्ष्यों का अवलोकन कराने का निर्देश दिया है।