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Madhya Pradesh: Water crisis in Shivpuri takes a vivid form
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मध्यप्रदेश: शिवपुरी में जल संकट ने विकराल रूप धारण किया

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मध्यप्रदेश: शिवपुरी में जल संकट ने विकराल रूप धारण किया
Madhya Pradesh Water crisis in Shivpuri takes a vivid form
Madhya Pradesh Water crisis in Shivpuri takes a vivid form
Madhya Pradesh Water crisis in Shivpuri takes a vivid form

SABGURU NEWS | शिवपुरी मध्यप्रदेश के अधिकांश हिस्सों में इस बार अल्प वर्षा के बीच शिवपुरी जिले में ग्रीष्मकाल शुरू होते ही जलसंकट और गहरा गया है।सरकारी तौर पर जलअभावग्रस्त घोषित किए गए इस जिले में नलकूपों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है।

शहर की लगभग आधी आबादी को जल आपूर्ति करने वाली संख्या सागर चांद पाटा झील का जलस्तर भी बहुत तेजी से नीचे जा रहा है। इसके अलावा सिंध नदी से पानी आपूर्ति से जुड़ी जल आवर्धन योजना पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं कर रही है। इस वजह से और शहर में जलसंकट ने विकराल रूप धारण कर लिया।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार शिवपुरी में लगभग 500 नलकूप हैं, जिनसे आधे शहर की जनसंख्या को जल आपूर्ति होती है। इसके अलावा आधे शहर को संख्या सागर चांद पाटा झील से पानी भेजा जाता है। 500 नलकूपों में से पिछले दो महीनों में लगभग आधे नलकूप या तो पानी देना छोड़ चुके हैं या उनका जलस्तर इतना नीचे जा चुका हैं, जिनसे पानी कम और विलंब से प्राप्त हो रहा है। इसके चलते निजी जल विक्रेता भी टैंकरों से पानी की आपूर्ति मनमाने दाम पर कर रहे हैं। एक दिन पहले टैंकर बुक करने पर दूसरे दिन टैंकर मिलता है। पानी के दाम भी बढ़ा दिए हैं। 300 से 400 रुपए मैं पानी का टैंकर मिल रहा है, जो गर्मी बढ़ने के साथ ही और महंगा होता जाएगा।

शिवपुरी के प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी गोविंद भार्गव ने बताया कि सिंधु जल आवर्धन योजना का पानी जल्दी से जल्दी शिवपुरी की टंकियों तक पहुंचाए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। बीच-बीच में पानी की लाइन में लीकेज होने के कारण तथा नदी से पानी लिफ्ट करने वाली जगह पर कुछ कमियां रहने के कारण उनको दूर किया जा रहा है। शहर को पानी दिए जाने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।

शिवपुरी शहर में पानी की समस्या लगभग 20 वर्ष पूर्व शुरू हो गई थी, जो धीरे-धीरे बढ़ती गयी। इसके कारण लगभग 10 वर्ष पूर्व सिंधु जल आवर्धन योजना लगभग 56 करोड़ की स्वीकृत हुई थी और उसको जल्दी से जल्दी पूरा होना था। नौ साल के बाद भी जिस कंपनी को यह ठेका दिया गया था, वह यह कार्य पूरा नहीं कर पायी। इसी बीच इस योजना की लागत बढ़ कर 100 करोड़ रूपए से अधिक हो गयी। इस योजना पर तेजी से काम के लिए प्रशासन कोशिश कर रहा है।