मुंबई। महाराष्ट्र में शिव सेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन, महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की अगुवाई में उद्धव ठाकरे सरकार ने शनिवार को विधानसभा में आसानी से अपना बहुमत साबित कर लिया।
राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुमत के लिए 145 विधायकों के वोट चाहिए थे जबकि उनके पक्ष में 169 वोट पड़े। राज्य विधानसभा में 105 विधायकों वाले सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी ने मतदान से पहले सदन का बहिर्गमन किया जबकि चार विधायक तटस्थ रहे।
विश्वास मत के खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा। तटस्थ रहने वाले विधायकों में ठाकरे के चेचेरे भाई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का एक विधायक भी शामिल है। मनसे के अलावा आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के दो और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक विधायक ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
अघाड़ी गठबंधन के पास शिव सेना के 56, राकांपा 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों को मिलाकर कुल 154 विधायक थे जबकि विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में 169 वोट पड़े।
विशेष सत्र के शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने अधिवेशन बुलाने को नियमों के विरुद्ध बताते हुए हंगामा किया। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडण्वीस ने कहा कि सत्र की शुरुआत ‘वंदे मातरम’ के साथ नहीं हुई है और यह नियमों का उल्लंघन है। भाजपा के सदस्यों ने सदन में शोर-शराबा भी किया और विश्वास मत के लिए हुई वोटिंग के दौरान बहिर्गमन किया।
राज्य की 288 विधानसभा सीटों के परिणाम 24 अक्टूबर को ही आ गए थे लेकिन राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर एक माह से अधिक समय तक खूब ड्रामा हुआ। भाजपा और शिव सेना ने विधानसभा चुनाव गठबंधन करके लड़ा था और दोनों ने 161 सीटें हासिल की थी। भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। शिव सेना ने 56 सीटें जीतीं थी।
परिणाम आने के बाद दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान शुरू हो गई । शिव सेना मुख्यमंत्री कार्यकाल में 50-50 का फार्मूला चाहती थी जबकि भाजपा इसके खिलाफ थी और इसके बाद दोनों दलों के बीच इस मुद्दे पर मतभेद इतने बढ़े कि गठबंधन टूट गया।
भाजपा और शिव सेना में सरकार बनाने को लेकर सहमति नहीं बन पाने के बीच अचानक हुए घटनाक्रम में राकांपा विधायक दल के नेता अजीत पवार के समर्थन से भाजपा ने 22 नवंबर की रात को सरकार बनाने का दावा पेश किया जिसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडण्वीस को अगले दिन सुबह ही मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी।
उनके साथ पवार ने भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शिव सेना और कांग्रेस तथा राकांपा और कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर उच्चतम न्यायालय पहुंच गई। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए फडणवीस को बुधवार तक बहुमत सिद्ध करने को कहा। उधर, पवार पर राकांपा प्रमुख शरद पवार और परिवार के अन्य सदस्यों का दबाव बढ़ने से उन्होंने मंगलवार को ही उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद फडण्वीस ने भी उसी दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
फडणवीस के इस्तीफा देने के बाद उद्धव ठाकरे की अगुवाई में शुक्रवार को शिव सेना, कांग्रेस और राकांपा गठबंधन की सरकार बनी और उसने आज सदन में बहुमत सिद्ध कर दिया।
अपराह्न दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव का राकांपा के नवाब मलिक और शिव सेना के सुनील प्रभु ने समर्थन किया।
भाजपा की तरफ से नई सरकार के मंत्रियों के शपथ लेने को गलत करार और संविधान के नाम पर शपथ नहीं लेने के आरोप पर मुख्यमंत्री ठाकरे ने विपक्ष पर निशाना साधा। ठाकरे ने कहा कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज और अपने पिता-माता के नाम पर भी शपथ ली है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे शपथ लेना अपराध है तो यह अपराध वह फिर से करेंगे।
विशेष सत्र के प्रारंभ होने पर सबसे पहले विधायकों की गिनती की गई। मतदान के दौरान विधायकों से अपना जवाब हां और न में देने को कहा गया। इस दौरान भाजपा के सदस्य सदन में शोर शराबा करते रहे। भाजपा के सदस्यों का कहना था कि यह सब कुछ नियमों के विरुद्ध हो रहा है।
सदन की कार्यवाही से बहिर्गमन करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फड़नवीस ने सदन में अपनाई गई प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को हटाकर नया प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने को नियमों के विरुद्ध बताया।
फडण्वीस ने कहा कि इस अधिवेशन को बुलाने के लिए नया समन जारी किया जाना चाहिए था। मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ संविधान के नियमों के मुताबिक नहीं ली गई जो अवैध है। देश के इतिहास में प्रोटेम स्पीकर को ऐसे कभी नहीं हटाया गया और मनमानी करके सदन की सारी कार्यवाही चलाई गई।
राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि राज्यपाल की सहमति से शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन और विधानसभा सत्र आहूत किया गया। उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार सदन में बहुमत परीक्षण कराया गया। उन्होंने भाजपा के सदन से वाकआउट को चेहरा बचाने का प्रयास बताया।
उधर सदन में बहुमत सिद्ध होने के बाद शिव सेना के मुखर नेता संजय राउत ने 170 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए लिखा कि आज बहुमत दिन.. 170+++++ हमको मिटा सके ये जमाने में दम नहीं, हमसे जमाना खुद है… जमाने से हम नहीं।