नई दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की मंजूरी के साथ ही वर्ष 1960 में गठित महाराष्ट्र में मंगलवार को तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। महाराष्ट्र में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश पर मंगलवार को अपनी मोहर लगा दी।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि कोविंद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर महाराष्ट्र में छह माह के लिए राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दी है। इस दौरान विधानसभा निलंबित रहेगी।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर विचार करते हुए राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की थी, जिसे शाम को राष्ट्रपति कोविंद ने मंजूरी दी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के 19 दिनों के बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी जबकि शिव सेना को 56, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं।
288 सदस्यीय विधानसभा में कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े 145 को छू नहीं पाई। जिसके कारण राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी।
महाराष्ट्र में पहली बार राष्ट्रपति शासन 17 फरवरी 1980 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। उस समय केंद्र में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। राष्ट्रपति शासन नौ जून 1980 तक रहा था।
दरअसल इंदिरा गांधी ने 1980 में सत्ता में लाैटने के बाद विपक्षी पार्टियों के शासनवाली नौ राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया था। इससे पहले जनता पार्टी की सरकार ने 1977 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस शासित आठ राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया था।
जब इंदिरा गांधी ने महाराष्ट्र सरकार को पहली बार बर्खास्त किया था उस समय प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन के नेता के तौर पर शरद पवार प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। पवार 18 जुलाई 1978 से 17 फरवरी 1980 तक मुख्यमंत्री रहे थे।
राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन वर्ष 2014 में लगाया गया जब कांग्रेस के पृथ्वीराज चव्हाण ने राकांपा के गठबंधन से बाहर निकलने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा नेता देवेंद्र फडनवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया था।