नई दिल्ली। लंबे समय से चल रही अटकलों को विराम देते हुए दो बार के विश्व कप विजेता और भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने स्वतंत्रता दिवस के दिन शनिवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का एलान कर दिया।
भारत के सबसे सफल विकेटकीपर बल्लेबाज धोनी ने इंस्टाग्राम पोस्ट पर यह एलान करते हुए कहा कि मेरे करियर में आप सबके प्यार और सहयोग का बहुत-बहुत शुक्रिया। आज 19:29 बजे से आप मुझे रिटायर समझें।
धोनी ने इस पोस्ट में यह जिक्र नहीं किया कि वह किस फॉर्मेट से संन्यास ले रहे हैं। धोनी टेस्ट क्रिकेट से पहले ही संन्यास ले चुके थे और पिछले साल इंग्लैंड में हुए वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों भारत की हार के बाद उन्होंने कोई मैच नहीं खेला है।
धोनी के आईपीएल के 13वें संस्करण में खेलने की उम्मीद है जिसके लिए वह रांची से चेन्नई पहुंच चुके हैं। चेन्नई में रविवार से चेन्नई सुपरकिंग्स का छह दिन कंडीशनिंग शिविर लगना है। तीन बार के आईपीएल विजेता धोनी चेन्नई टीम के कप्तान हैं। धोनी ने चेन्नई आने से पहले अपने गृहनगर रांची में कोरोना टेस्ट कराया था जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद वह शुक्रवार को चेन्नई के लिए रवाना हुए थे।
2007 में अपनी कप्तानी में पहला टी-20 विश्व कप जीतने वाले धोनी ने भारत को 28 साल के लम्बे अंतराल के बाद 2011 में एकदिवसीय विश्व चैंपियन बनाया था। भारत ने उनकी कप्तानी में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती है और टीम इंडिया उनकी कप्तानी में टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक भी बनी थी।
इंग्लैंड में पिछले साल हुए वनडे विश्व कप के बाद से ही लगातार धोनी के संन्यास की अटकलें चलती रही थीं लेकिन धोनी ने इन अटकलों पर कभी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी और इस मुद्दे पर लगातार खामोश रहे थे। पिछले महीने सात जुलाई को 39 साल के हुए धोनी ने अपने संन्यास का एलान करने के लिए स्वतंत्रता दिवस का दिन चुना और इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालकर सबको चौंका दिया।
माही के नाम से मशहूर धोनी ने मार्च में अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स के साथ आईपीएल की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं लेकिन पहले लॉकडाउन के कारण चेन्नई ने अपना शिविर बंद किया और माही अपने गृहनगर रांची लौट गए थे। आईपीएल के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाने के कारण धोनी के संन्यास को लगातार अटकलें लग रही हैं लेकिन धोनी ने इस मामले में गहन चुप्पी साध रखी थी।
आईपीएल का 19 सितम्बर से 10 नवम्बर तक संयुक्त अरब अमीरात में आयोजन होना है और आईपीएल की तैयारियां शुरू होने से पहले ही धोनी ने एलान कर दिया कि अब से उन्हें रिटायर माना जाए।
23 साल की आयु में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पदार्पण करने वाले धोनी आईसीसी की तीनों विश्व प्रतियोगिताएं जीतने वाले दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं और भारतीय क्रिकेट को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का श्रेय उन्हें जाता है। धोनी ने 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे में मेलबोर्न टेस्ट के बाद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था और जनवरी 2017 में उन्होंने विराट कोहली को वनडे और टी-20 की कप्तानी सौंप दी थी।
खिलाड़ियों के दिमाग को पढ़कर उसे क्रिकेट के खेल में इस्तेमाल करने की अनोखी ताकत रखने वाले धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को झारखंड (तब बिहार) के रांची में हुआ था। धोनी झारखंड से निकलकर टीम इंडिया में जगह बनाने वाले पहले खिलाड़ी थे। एक निम्न मध्यमवर्गी परिवार में जन्मे धोनी को बचपन से क्रिकेट के बजाय फुटबॉल खेलना पसंद था। धोनी को फुटबॉल टीम में एक गोलकीपर के तौर पर खेलते देख उस समय के उनके कोच ने उन्हें क्रिकेट में एक विकेटकीपर के तौर पर खेलने की सलाह दी। यहीं से माही का खेल बदला।
बिहार के लिए रणजी खेलने के बाद उन्हें रेलवे की तरफ से भी खेलने का मौका मिला। रेलवे ने उनके शानदार खेल को देखते हुए नौकरी ऑफर की। धोनी ने परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिये बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर की नौकरी स्वीकार कर ली। लेकिन धोनी की किस्मत में ‘क्रिकेट का बादशाह’ बनना लिखा था, अंततः एक दिन वह नौकरी छोड़कर वापस खेल के मैदान की ओर लौट आए। धोनी का यह फैसला उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
इसके बाद धोनी को जिम्बाब्वे और केन्या के दौरे पर इंडिया ए टीम में पहली बार जगह मिली। धोनी ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाया और सात मैचों में 362 रन बनाए। धोनी ने इस दौरान विकेटकीपिंग में भी हाथ अजमाते हुए सात कैच लपके और चार स्टंपिंग भी की। उस समय टीम इंडिया को एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी जो निचले क्रम में बल्लेबाजी भी कर सके। धोनी के इस प्रदर्शन ने तत्कालीन कप्तान सौरभ गांगुली को आकर्षित किया और इस तरह वर्ष 2004 में धोनी को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिला।
बंगलादेश के खिलाफ अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले धोनी शुरुआती मैचों में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाये लेकिन टीम प्रबंधन ने उन पर भरोसा दिखाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ अगली सीरीज में फिर मौका दिया। उन्होंने विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ खेले गये अपने करियर के पांचवे मैच में 123 गेंदों पर 148 रन की विस्फोटक पारी खेली और इस पारी ने धोनी के करियर को एक झटके में आसमान पर पहुंचा दिया।
उन दिनों धोनी की बल्लेबाजी और उनके लंबे बाल भी देश-दुनिया में चर्चा का विषय रहे। उस समय उनके हेयर स्टाइल के दीवाने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ भी थे। उन्होंने एक सम्मान समारोह में धोनी के बालों की खुल कर चर्चा की।
तीन साल के भीतर धोनी को टी-20 और वनडे का कप्तान नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने अपनी कप्तानी में 2007 में दक्षिण अफ्रीका में हुए टी-20 विश्वकप टूर्नामेंट को जीत कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। इसके बाद धोनी को 2008 में टेस्ट कप्तानी सौंपी गई। इसके बाद उनकी कप्तानी में टीम ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में जीत हासिल की और दिसंबर 2009 में पहली बार भारत टेस्ट क्रिकेट इतिहास में नंबर-1 रैंकिंग पर काबिज हुआ।
इसके बाद वर्ष 2011 विश्वकप के फाइनल में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 91 रनों की ऐतिहासिक पारी खेलकर भारत को 28 वर्षों बाद विश्व कप खिताब दिलाया। फाइनल में धोनी के लगाये ऐतिहासिक विजयी छक्के की तारीफ केवल उनके प्रशंसको ने ही नहीं बल्कि कई क्रिकेट दिग्गजों ने भी की। उनकी तारीफ में भारत के क्रिकेट दिग्गज सुनील गावस्कर ने कहा था कि मैं मरने से पहले विश्वकप फाइनल 2011 में धोनी का आखिरी छक्का देखना चाहूंगा।
उन्होंने वर्ष 2013 में इंग्लैंड को उसके मैदान पर हराकर आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी भी जीती। माही का करियर 16 साल तक चला। धोनी ने भारत के लिए अब तक सबसे अधिक 200 वनडे में कप्तानी की है जिसमें टीम को 110 मैचों में जीत हासिल हुई है। उन्होंने 350 वनडे मैचों में 50.57 के औसत से 10773 रन बनाए, जिसमें 10शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान उन्होंने विकेट के पीछे 444 शिकार किए हैं। उन्होंने वनडे में 229 छक्के मारे हैं जो एक भारतीय रिकॉर्ड है।
धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 38.09 के औसत से 4876 रन बनाए जिसमें 6 शतक और 33 अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट मैचों में उन्होंने विकेट के पीछे 294 शिकार किए। उनका आखिरी वनडे माही का 350वां वनडे था जिसमें उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 72 गेंदों में 50 रन बनाये थे और मामूली अंतर से रन आउट हुए थे। यह उनकी आखिरी अंतर्राष्ट्रीय पारी थी। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में विकेट के पीछे कुल 829 शिकार किए जिसमें 634 कैच और 195 स्टंपिंग शामिल हैं।
माही ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा आईपीएल में कुछ ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जिन्हें तोड़ना किसी भी खिलाड़ी के लिए बेहद कठिन होगा। वह आईपीएल में सबसे ज्यादा नौ बार फाइनल खेलने वाले अकेले खिलाड़ी हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स को तीन बार खिताबी जीत दर्ज कराई।