मुंबई/लंदन। महेंद्र सिंह धोनी के दस्तानों पर भारतीय सेना के बलिदान बैज को लेकर उठे अनावश्यक विवाद में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने हालांकि अपने विकेटकीपर बल्लेबाज़ का समर्थन किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि वह इस मामले में आईसीसी के नियमों का पालन करेगा।
बीसीसीआई ने धोनी के दस्तानों पर भारतीय सेना के बलिदान बैज को लेकर उठे मामले में अतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद से लचीलापन दिखाने का आग्रह किया है लेकिन साथ ही कहा है कि यदि आईसीसी इस चिन्ह को हटाने पर जोर देता है तो वह आईसीसी के नियमों का पालन करेगा।
बीसीसीआई का संचालन देख रही प्रशासकों की समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय ने कहा कि हम खेल को आईसीसी के नियम और भावना के अनुसार खेलेंगे। यदि निर्दिष्ट नियमों का पालन करने की बात है तो हम उसका पालन करेंगे। यदि नियम में कोई लचीलापन उपलब्ध है तो हम आईसीसी की अनुमति मांगेंगे कि वह धोनी कोे अपने इन्हीं दस्तानों के साथ खेलने की अनुमति दे।
आईसीसी की आपत्ति के बाद यह मामला भारत में इतना तूल पकड़ गया कि केंद्रीय खेल मंत्री किरन रिजिजू को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ गया और उन्होंने बोर्ड से इस मामले में उचित कदम उठाने की अपील की।
इंग्लैंड एंड वेल्स में चल रहे विश्वकप में हिस्सा ले रही भारतीय विकेटकीपर धोनी के ग्लव्स पर लगे भारतीय सेना के बैज को लेकर वैश्विक संस्था ने आपत्ति जतायी थी जिसके बाद अनावश्यक विवाद पैदा हो गया है।
आईसीसी ने बीसीसीआई से अपील की है कि वह धोनी से उनके दस्तानों पर बने सेना के बैज को हटाने के लिए कहे। आईसीसी नियम के मुताबिक खिलाड़ियों के कपड़ों या अन्य वस्तुओं पर अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीति, धर्म या नस्लभेद आदि का संदेश अंकित नहीं होना चाहिए।
इस विवाद पर मुंबई में शुक्रवार को सीओए की बैठक में गंभीर चर्चा हुई। बैठक में विनोद राय के दो अन्य सहयोगी डायना इडुल्जी और रवींद्र थोडगे तथा बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी भी शामिल हुए। राय का मानना है कि धोनी के दस्तानों पर बना लोगो ना तोे राजनीतिक है और ना ही व्यवसायिक तथा सैन्य है। यह पैरामिलिट्री रेजीमेंट का प्रतीक चिन्ह है।
राय ने कहा कि मुझे बताया गया है कि विकेटकीपर के दस्तानों पर लोगो को लेकर निर्दिष्ट नियम है। यदि ऐसा कोई नियम है तो हम पूरी तरह आईसीसी नियमों का पालन करेंगे और इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाएंगे।
समझा जाता है कि यदि आईसीसी भारतीय बोर्ड के आग्रह को ठुकरा देता है तो धोनी को अपने दस्तानों पर लगे इस चिन्ह को टेप से ढकना होगा। आईसीसी ने अभी तक बीसीसीआई को आधिकारिक रुप से कोई जवाब नहीं दिया है लेकिन माना जा रहा है कि वह अपने रुख से पीछे नहीं हटेगा।
आईसीसी के विरोध जताने के बाद भारत में सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर वैश्विक क्रिकेट संस्था की काफी आलोचना हो रही है जिसके बाद सीओए को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा है।
इस बीच खेल मंत्री रिजिजू ने भी बीसीसीआई से इस मामले में उचित कदम उठाने की मांग की है। रिजिजू ने ट्विटर पर लिखा कि सरकार खेल निकायों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है, वे स्वायत्त हैं। लेकिन जब मुद्दा देश की भावनाओं से जुड़ा होता है, तो राष्ट्र के हित को ध्यान में रखना होता है। मैं बीसीसीआई से आग्रह करता हूं कि वह इस मामले में उचित क़दम उठाए।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने भी धोनी का यह कहकर समर्थन किया है कि पूर्व कप्तान ने बलिदान देने का जो भारतीय सेना का बैज पहना है वह आईसीसी के नियमों का उल्लंघन नहीं है।
उल्लेखनीय है कि विश्वकप में भारत के पहले मैच में धोनी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विकेटकीपिंग दस्तानों पर इंडियन पैरा स्पेशल फोर्स के चिह्न के साथ खेल रहे थे। धोनी के दस्तानों पर बलिदान ब्रिगेड का चिह्न है। सिर्फ पैरामिलिट्री कमांडो को ही यह चिह्न धारण करने का अधिकार है।
अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज़ धोनी को वर्ष 2011 में पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। धोनी ने 2015 में पैरा ब्रिगेड की ट्रेनिंग भी ली थी। हालांकि इस तरह का विवाद कोई नया नहीं है। इससे पहले मार्च में भी रांची में आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में टीम इंडिया के खिलाड़ियों के भारतीय सेना की टोपी पहनकर खेलने पर विवाद पैदा हो गया था।
भारतीय टीम ने पुलवामा में हुये आतंकवादी हमलों में मारे गये सैनिकों को श्रद्धांजलि स्वरूप सेना की टोपी पहनी थी। धोनी ने ही अपने टीम साथियों को मैच से पूर्व ये टोपियां भेंट की थीं। खिलाड़ियों ने इस मैच से मिली कमाई को शहीदों के परिजनों को दिया था।
हालांकि आईसीसी ने समाजिक कार्य के लिये धन इकठ्ठा करने के इरादे से उठाये गये इस कदम के मद्देनज़र भारतीय टीम का विरोध नहीं किया था। पाकिस्तान के खेल मंत्री ने हालांकि इसकी शिकायत वैश्विक संस्था से की थी।