अजमेर। महातपस्वी आचार्य महाश्रमण की विदुषी शिष्या साध्वी जिनबाला के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल अजमेर की ओर से गुरुवार को महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया।
साध्वी जिनबाला का तेरापंथ भवन में चार माह का प्रवास रहा। इस बीच उनकी प्रेरणा से अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान आदि के जरिए अजमर वासियों को कई प्रकार से जीवन उत्थान के लिए मार्गदर्शन मिला। वर्तमान के तनावपूर्ण जीवन को सुख, शांतिमय बनाने के गुर सीखने को मिले।
सम्मेलन में प्रवचन करते हुए साध्वी जिनबाला ने कहा कि महिला घर परिवार की धुरी है। महिला बिना घर शमशान के समान है। सृष्टि की सर्वोत्तम कृति स्त्री है। पुरुष की उत्पादक, धारक, पोषक, रक्षक, संवर्धक नारी ही होती है। जिस घर की नारी संस्कारी होती है उसमें होली नहीं बल्कि हल्केपन, थकान नहीं ताजगी, आकुलता नहीं बल्कि अनुकूलता, क्रूरता नहीं बल्कि करुणा भाव की अनुभूति होती है।
इस मौके पर साध्वी करुणा प्रभा ने कहा कि नारी इस बात को गहराई से समझे कि अहं की अकड, विचारों की पकड परिवार को तोडती है। अविश्वास की दीमक संबंधों को खोखला बनाती है। क्रोध एवं अहं की गांठ से रितों का धागा टूटता है।
साध्वी लाभवती ने सुमधुर संगान से प्रगति की प्रेरणादी। साध्वी भव्यप्रभा ने नारी जाति के विकास की कामना की। महिला मंडल अजमेर ने महिला सम्मेलन आज है खुशियां बे अंदाज है गीत की प्रस्तुति दी। कन्या मंडल ने तपस्वियों के अभिनंदन में गीत सुनाया।
महिला मंडल की ओर से स्वागत भाषण सुनीता छाजेड ने दिया तथा रेखा मेहता ने आभार जताया। अणुव्रत समिति अध्यक्ष मोनिका लोढा ने भावाभिव्यक्ति की। डॉ मोनिका माहेश्वरी, डॉ रचना जैन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं। कार्यक्रम का संयोजन महिला मंडल अध्यक्षा ज्योति छाजेड ने किया।
इस अवसर पर चातुर्मास काल में हुई तपस्याओं की सराहना करते हुए तपस्वी भाई बहनों का अभिनंदन किया गया। मासखमण तप करने वाले प्रकाश कोठारी, पन्द्रह दिन की तपस्या करने वाली सरला देवी कोठारी तथा ग्यारह, नौ, आठ दिन की तपस्या करने वाले 16 भाई बहनों का अभिनंदन किया गया।